सोशल मीडिया के खिलाफ नियमों को और सख्त बना रही है मोदी सरकार

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ट्विटर विवाद के बाद भारत में फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया मंचों के खिलाफ मोदी सरकार अब और सख्त कदम उठाने जा रही है। केंद्र सरकार ने संसद को आज यानी गुरुवार को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भारतीय कानूनों के प्रति अधिक उत्तरदायी और जवाबदेह बनाने के लिए आईटी नियमों में संशोधन किया जा रहा है। आचार संहिता का पालन करने के लिए डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी ये नियम लागू होंगे। 

दरअसल, जिस तरह से किसान आंदोलन की आड़ में सोशल मीडिया के जरिए भारत के खिलाफ विदेशी प्रोपेगेंडा देखने को मिली और जिस तरह से झूठी खबरों से हिंसा और अशांति फैलने की कोशिश हुई, उसे लेकर ट्विटर भारत सरकार की रडार पर है। ट्विटर और भारत सरकार में टकराव की स्थिति ऐसी है कि सरकाकर ने साफ हिदायत दे दी है कि अगर उन्हें यहां रहना है तो यहां के कानूनों का पालन करना ही होगा।

वहीं, इधर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया मंचों को आगाह किया कि अगर उनका उपयोग भारत में झूठी खबरें फैलाने, हिंसा या वैमनस्य को बढ़ावा देने में किया जाता है तो उनके खिलाफ सख्ती की जाएगी। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अगर सोशल मीडिया का दुरूपयोग किया जाता है और झूठी खबरों के अलावा, हिंसा व वैमनस्य को बढ़ावा मिलता है तो ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी। 

प्रसाद ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान विभिन्न पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार सोशल मीडिया का सम्मान करती है और इस मंच से लोग अधिकार संपन्न हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही है। प्रसाद ने कहा कि सरकार आलोचना के अधिकार का भी सम्मान करती है लेकिन ऐसे मंचों को देश के संविधान तथा कानूनों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है तो चुनाव आयोग के अलावा सरकार भी कार्रवाई करेगी।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अमेरिकी संसद भवन में हिंसा और यहां लाल किले में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा के समय ऐसे मंचों का आचरण विरोधाभासी रहा। उन्होंने कहा कि कई सोशल मीडिया मंचों ने अमेरिका में पुलिस की कार्रवाई का समर्थन किया लेकिन यहां भारत में उलटा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि ऐसा दोहरा मानदंड स्वीकार नहीं किया जा सकता। प्रसाद ने कहा कि ऐसी कंपनियां भारत में काम करें, पैसे कमाएं लेकिन साथ ही वे संविधान और देश के कानूनों का भी पालन करें।

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