राजस्थान विधानसभा चुनाव में लगभग छह महीने का समय शेष है, लेकिन सचिन पायलट एक बार फिर इस अंतिम समय में पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ी करते दिख रहे हैं। उन्होंने राजस्थान की पूर्ववर्ती सरकार में हुए कथित घोटालों की जांच न कराने के विरोध में 11 अप्रैल को एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है। इसे अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव की रणनीति माना जा रहा है। लेकिन कांग्रेस ने इशारों में ही साफ कर दिया है कि वह अपने पुराने घोड़े पर ही दांव लगाएगी। न केवल विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, बल्कि बाद में सत्ता में दोबारा आने पर भी राज्य की कमान पायलट के हाथों में आने की संभावना न के बराबर है।
रविवार को जब सचिन पायलट ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर अपने इस एक दिवसीय धरने का एलान किया, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर अशोक गहलोत सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने अनेक ऐसी योजनाओं को लागू किया है, जिसने पूरी जनता को गहराई से प्रभावित किया है। इससे जनता के बीच सरकार और पार्टी की साख में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने आगे बढ़कर कहा कि अशोक गहलोत सरकार के इन कार्यों के कारण पूरे देश के शासन व्यवस्था में राजस्थान एक मॉडल के तौर पर उभरा है।
क्यों जरूरी है ‘स्वास्थ्य का अधिकार’?
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— Congress (@INCIndia) April 9, 2023
गहलोत का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी कांग्रेस
पार्टी के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अशोक गहलोत को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। अशोक गहलोत राजस्थान में एक बड़े नेता के तौर पर उभरे हैं। उन्होंने भाजपा के गुजरात और यूपी मॉडल, अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल की तुलना में कांग्रेस के ‘राजस्थान मॉडल’ को स्थापित करने का काम किया है। राजस्थान सरकार ने जिस तरह 25 लाख रुपये की स्वास्थ्य बीमा योजना, हेल्थ गारंटी और समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं पेश की हैं, कांग्रेस आगामी चुनावों में इन्हें राजस्थान से बाहर भी कैश कराने की कोशिश कर सकती है।
मॉडल स्टेट राजस्थान में सेवा और विकास साथ-साथ हो रहा है
• राज्य 11.04% की आर्थिक विकास दर के साथ देश में दूसरे स्थान पर
सेवा ही कर्म
सेवा ही धर्म pic.twitter.com/ybsJwJVNWe— Congress (@INCIndia) April 9, 2023
जहां अशोक गहलोत की कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति निष्ठा असंदिग्ध है, वहीं सचिन पायलट की बयानबाजी और उनके कार्यों ने उनके प्रति संदेह पैदा किया है। कांग्रेस राज्य की बागडोर किसी ऐसे व्यक्ति के हाथों में नहीं देना चाहेगी जिसके कारण उसे भविष्य में कोई संकट झेलना पड़े।
इसके अलावा कांग्रेस के पास इस समय ऐसे नेताओं की कमी है, जो उसके लिए फंड का जुगाड़ कर सकें। पार्टी को साल भर के अंदर न केवल चार बड़े राज्यों में चुनाव में जाना है, बल्कि अगले साल ही उसे लोकसभा चुनाव की तैयारी भी करनी है। पार्टी की संभावनाएं आर्थिक मजबूती पर भी निर्भर करेंगी। विशेष तौर पर ऐसे समय में जब सारा अर्थ तंत्र एक विशेष राजनीतिक दल के इर्द-गिर्द सिमटता दिखाई पड़ रहा हो। ऐसे समय में पार्टी के लिए अशोक गहलोत जैसे नेताओं की अहमियत बढ़ जाती है। सचिन पायलट इस मोर्चे पर अशोक गहलोत के आसपास भी नहीं फटकते।
श्री जयराम रमेश, संसद सदस्य, महासचिव (संचार) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा जारी वक्तव्य!
9 अप्रैल, 2023 pic.twitter.com/EfqRCt9KAK
— INC Sandesh (@INCSandesh) April 9, 2023
यात्रा की सफलता भी गहलोत के सिर
राजनीतिक टिप्पणीकार मानते हैं कि जयराम रमेश ने इशारों-इशारों में ही यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस आगे भी अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही भरोसा बनाए रखेगी। उन्होंने कहा कि हाल-फिलहाल में भारत जोड़ो यात्रा ने पूरे देश में कांग्रेस के पक्ष में एक हलचल पैदा की है। इससे न केवल पार्टी की साख राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुई है, बल्कि राहुल गांधी भी एक परिपक्व और मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं।
#WATCH मुझे लगता है कि चुनाव के समय सचिन पायलट को ऐसा लग रहा होगा कि जनता उनसे जवाब मांगेगी कि आपने कहा था कि वसुंधरा राजे की सरकार में बहुत भ्रष्टाचार हुआ और आप उसकी जांच कराएंगे लेकिन आपने जांच नहीं करवाई। मैं इसे सरकार के खिलाफ नहीं वसुंधरा राजे की सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने… pic.twitter.com/GPdE8uItFa
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 10, 2023
जयराम रमेश ने अपने बयान में राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा की सफलता का श्रेय पार्टी संगठन को दिया है। इसकी कमान इस समय अशोक गहलोत के करीबी गोविंद सिंह डोटासरा के हाथों में है। यानी पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार और संगठन दोनों की तारीफ कर अशोक गहलोत पर ही भरोसा जताया है। इसका यह संकेत भी है कि यदि सचिन पायलट इससे आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं और पार्टी से बगावत करने की राह पकड़ते हैं, तो भी पार्टी एक हद से ज्यादा उन्हें रोकने की कोशिश नहीं करेगी, कम से कम अशोक गहलोत की कीमत पर तो कतई नहीं।
विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News