सर्वोच्च न्यायालय ने आज संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सर्विस प्री परीक्षा-2020 के स्थगन को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की । सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए यूपीएससी ने कहा कि परीक्षा स्थगित करना असंभव है, क्योंकि सभी लॉजिस्टिक व्यवस्था पहले से ही की गई है। न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने यूपीएससी से कहा कि वह इस तथ्य को हलफनामे में रखे और व्यवस्थाओं के साथ रखे। अब इस मामले की आगे की सुनवाई बुधवार को होगी।
देशभर में कोरोना वायरस महामारी के कारण बढ़ते मामलों को लेकर इस परीक्षा को स्थगित करने को लेकर याचिका दायर की गई है।
इस याचिका को 20 यूपीएससी सिविल सर्विस अभ्यार्थियों ने दायर किया है। आपको बता दें कि यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 4 अक्टूबर को आयोजित की जानी है। इससे पहले 24 सितंबर को कोर्ट ने एडवोकेट आलोक श्रीवास्तव को याचिका की कॉपी केंद्र और संघ लोक सेवा आयोग को देने के लिए कहा था। यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा स्थगित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
Union Public Service Commission (UPSC) tells Supreme Court that it’s impossible to defer Civil Services exams any further. SC was hearing a plea filed by UPSC aspirants, seeking postponement of upcoming Civil Services (prelims) Exam’20. UPSC asked to file an affidavit by tomorrow
— ANI (@ANI) September 28, 2020
देशभर के याचिका कर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि इस समय में परीक्षा कराना उम्मीदवारों के स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों को संकट में डालने जैसा है। आपको बता दें कि देशभर के 72 शहरों में होने वाली इस ऑफलाइन परीक्षा में 6 लाख उम्मीदवारों के शामिल होने की उम्मीद है।
याचिका में कहा गया है कि महामारी के इस संकट के समय में ऑफलाइन परीक्षाएं करवाना लाखों युवा छात्रों की जिंदगी को खतरे में डालने से ज्यादा और कुछ नहीं है। देश के कई राज्यों में आई बाढ़ और लगातार बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं के चलते याचिकाकर्ताओं और उस क्षेत्र में रहने वाले अन्य बहुत से छात्रों का जीवन व स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ऐसे में संशोधित कैलेंडर पूरी तरह से अनुचित है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए ‘स्वास्थ्य के अधिकार’ व ‘जीवन के अधिकार’ का उल्लंघन करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन एक भर्ती परीक्षा है। यह अकादमिक परीक्षाओं से अलग है। इसमें देरी से अकादमिक सत्र में देरी नहीं होगी।
याचिका में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद भी यूपीएससी ने परीक्षा केंद्र नहीं बढा़ए हैं। इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र के बहुत से परीक्षार्थियों को मजबूरन 300-400 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी। सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते समय इन परीक्षार्थियों के संक्रमित होने की आशंका है।’
यूपीएससी ने परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों के लिए एग्जाम में मास्क या फेस कवर पहनना अनिवार्य बना दिया है। आयोग ने कहा है कि परीक्षार्थी पारदर्शी बोतलों में सैनिटाइजर भी ला सकते हैं। बिना मास्क के किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी। परीक्षार्थियों को कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। उन्हें परीक्षा हॉल/कमरों के साथ परिसरों में भी सामाजिक दूरी का पालन करना होगा।
बात दें कि इस वर्ष प्रारंभिक परीक्षा 31 मई को होनी थी लेकिन कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण इसे टाल दिया गया था। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जरिए इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज (आईएएस), भारतीय पुलिस सर्विसेज (आईपीएस) और भारतीय फॉरेन सर्विसेज (आईएफएस), रेलवे ग्रुप ए (इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस) सहित अन्य सेवाओं के लिए चयन किया जाता है। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों – (प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार ) में आयोजित की जाती है। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर फाइनल मेरिट लिस्ट जारी होती है।