मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव के लिए तारीखों की घोषणा 29 सितंबर से पहले नहीं होगी। चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान करते वक्त कहा कि उपचुनावों को लेकर 29 सितंबर को मीटिंग की जाएगी। मध्य प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा की अपनी सत्ता बचाने और कमलनाथ की छह महीने पहले खोई सत्ता वापस पाने की लड़ाई है। साथ ही, इस उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख भी दांव पर लगी है। क्योंकि, जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 16 सीटें सिंधिया के प्रभाव वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की है।
प्रदेश में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर क्यों हो रहा चुनाव
मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। पहली बार प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर उपचुनाव हो रहे हैं। इसका कारण प्रदेश में मार्च में हुआ सियासी फेरबदल है। दरअसल, इसी साल 10 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार गिर गई थी।
कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से 22 सीटें खाली हो गई थीं। इसके बाद जुलाई में बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी और नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कसडेकर ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली। फिर मांधाता विधायक ने भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का झंडा पकड़ लिया। इसके अलावा, 3 विधायकों का निधन हो गया। यानी कुल 28 विधानसभा सीटें रिक्त हो गईं।
शिवराज, कमलनाथ, सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर
सिंधिया को उन 22 सीटों, जिसमें 16 सीटें उनके प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल की हैं, उन्हें बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। मुख्य मुकाबला ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर होगा। भाजपा जहां अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए सदस्यता अभियान चला रही है, वहीं कांग्रेस भी दोबारा सत्ता में आने का भरसक प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने 15 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, वहीं भाजपा के 25 सीटों पर प्रत्याशी लगभग तय हैं। लेकिन, उनके नाम की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही भाजपा के दिग्गज नेता मध्य प्रदेश में डेरा जमाए हुए हैं। कांग्रेस की तरफ से चुनाव प्रचार क जिम्मा कमलनाथ ने संभाल रखा है।
जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था
राज्य की जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से 27 पर पहले कांग्रेस का कब्जा था। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह बड़ी प्रतिष्ठा का सवाल है। प्रदेश में 230 सदस्यीय राज्य विस में बहुमत के लिए 116 सीटें होना जरूरी हैं। अगर भाजपा उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसकी सरकार और स्थिर होगी। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश है कि वह 20 या उससे ज्यादा सीटें जीत ले, जिससे की एक बार फिर प्रदेश में सत्ता पलट सकती है।
इन 28 सीटों पर उपचुनाव होंगे
ग्वालियर- प्रद्युम्न सिंह तोमर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
डबरा- इमरती देवी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गईं
बमोरी- महेंद्र सिंह सिसोदिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
सुरखी- गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
सांची- प्रभुराम चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
सांवेर- तुलसीराम सिलावट कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
सुमावली- एदल सिंह कंषाना कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
मुरैना- रघुराज सिंह कंषाना कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
दिमनी- गिर्राज दंडौतिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
अम्बाह- कमलेश जाटव कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
मेहगांव- ओपीएस भदौरिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
गोहद- रणवीर जाटव कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
ग्वालियर पूर्व- मुन्नालाल गोयल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
भांडेर- रक्षा संतराम सरौनिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
करेरा- जसमंत जाटव छितरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
पोहरी- सुरेश धाकड़ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
अशोकनगर- जजपाल सिंह जज्जी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
मुंगावली- बृजेंद्र सिंह यादव कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
अनूपपुर- बिसाहूलाल सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
हाटपिपल्या- मनोज नरायण चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
बदनावर- राजवर्धन सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
सुवासरा- हरदीप सिंह डंग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
मलहरा- प्रद्युम्न सिंह लोधी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
नेपानगर- सुमित्रा देवी कास्डेकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
मंधाता- नारायण पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए
जौरा- बनवारीलाल शर्मा निधन
आगर- मनोहर ऊंटवाल निधन
ब्यावरा- गोवर्धन दांगी निधन
मौजूदा विधानसभा की स्थिति
पार्टी सीटें
भाजपा- 107
कांग्रेस- 88
बसपा- 2
सपा – 1
निर्दलीय – 4
खाली सीटें- 28
कुल सीटें- 230