सड़क से लेकर संसद तक भारी विरोध के बीच आखिरकार कृषि विधेयक रविवार को राज्य सभा में पास हो गया। सदन में बिल पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी। कांग्रेस के सांसद राजीव सातव सहित कई सांसदों ने बिल के विरोध में जमकर नारेबाज़ी की। दरअसल, सदन की कार्यवाही 1 बजे पूरी होनी थी। उपसभापति ने कार्यवाही को विधेयक के पारित होने तक बढ़ाने का फैसला लिया।
इस पर विपक्ष के सांसदों ने हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित भी करनी पड़ी। बाद में राज्यसभा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी।
Rajya Sabha passes the Farmers’ and Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020 and Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020, amid protest by Opposition MPs https://t.co/JqGYfi8k4x
— ANI (@ANI) September 20, 2020
इससे पहले, आज राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कृषि विधेयकों को पेश किया और कहा कि इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा। तोमर ने कहा कि फसलों के लिए MSP जारी रहेगा। इधर, विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है। देशभर में बिल को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है। तोमर ने कहा, ‘किसान की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है। देश का किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा।’
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, ‘पंजाब और हरयाणा के किसान समझते हैं कि ये उनकी आत्मा पर बहुत बड़ा आघात है। कांग्रेस इसे खारिज करती है। किसान का बेटा होने के नाते किसानों के डेथ वारंट पर किसी तरह साइन करने को तैयार नहीं। मुझे हैरानी हुई कि इस वक्त इस बिल को लाने की जरूरत क्या है, जब कोरोना एक लाख केस निकल रहे हैं। जब चीन बॉर्डर पर बैठा है, तब इसकी जरूरत क्या है।’ बाजवा ने कहा, ‘एमएसपी को खत्म करने का तरीका है। यही हाल अमेरिका में हुआ है। किसानों की तीस प्रतिशत जमीने कॉरपरेट हाउस ले गए। किसान सड़कों पर है।’
This day will go down in history as ‘black day’. The way these bills have been passed goes against democratic processes & amounts to killing democracy. 12 Opposition parties have moved a no-confidence motion against Rajya Sabha Dy chairman: Congress MP Ahmed Patel pic.twitter.com/OKVSB97VNr
— ANI (@ANI) September 20, 2020
प्रफुल्ल पटेल एनसीपी- ‘मेरा यही कहना है कि क्रांतिकारी बिल लाकर किसानों की स्थिति सुधारना चाहते थे तो पहले शरद पवार जैसे नेता से बात करनी चाहिए थी। आज जैसे अनाज का उत्पादन कर रहे हैं वो किसनो की देन है। शुरुआत में पंजाब-हरियाणा ने जैसे अनाज की पैदावार करके पूरी किया और देश की उन्नति में योगदान किया है। आज महाराष्ट्र में भी गांव-गांव में नए पैदावार में रुचि दिखाई है।’
Haryana: Farmers staged a 3-hr protest, under the aegis of Bharatiya Kisan Union, in Kurukshetra today. They say, “It was a symbolic protest. If govt doesn’t listen to us we’ll back Haryana bandh on Sept 25. We’ll hold a meeting on Sept 27 in Delhi & announce nationwide protest.” pic.twitter.com/deIqnvbaPK
— ANI (@ANI) September 20, 2020
आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन अध्यादेश लागू किया था जो कि आप संसद के मानसून सत्र में दोनों सदनों से पास करा लिया गया है। एक तरफ़ सरकार इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है तो वहीं विपक्ष इसका पुरजोर विरोध कर रहा है। हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में तो किसान इन तीनों आदेशों के खिलाफ बड़ी संख्या में आंदोलित हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज भी किया गया था।
जिस तरह से आज राज्यसभा मे यह बिल पारित हुआ यह देश के लोकतंत्र को बड़ा झटका है और किसानों को न्याय दिलाने के लिए हम अपनी आखिरी साँस तक लड़ेंगे#किसान_काला_दिवस pic.twitter.com/qu5sem2LnW
— Ch Surender Solanki (@SurenderAICC) September 20, 2020