भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। बीजेपी ने उन्हें आगामी राज्यसभा उप-चुनाव 2020 के लिए उम्मीदवार बनाया है। राज्यसभा उपचुनाव 14 दिसंबर को होना है। यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई थी।
सुशील मोदी बिहार के दिग्गज नेता हैं और नीतीश कुमार की अगुआई में 2005 से 2020 तक एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे। हालांकि इस बार बीजेपी ने उनकी जगह तार किशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनाया है। इस फैसले से सुशील मोदी नाराज भी बताए जा रहे थे। उन्होंने ट्विटर पर भी लिखा था कि कार्यकर्ता का पद उनसे कोई नहीं छीन सकता है। यह तय माना जा रहा था कि सुशील मोदी को केंद्र में लाया जा सकता है।
सुशील मोदी ने लिखा था, ”भाजपा और संघ परिवार ने मुझे 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में इतना दिया की शायद किसी दूसरे को नहीं मिला होगा। आगे भी जो जिम्मेवारी मिलेगी उसका निर्वहन करूंगा। कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता।” मोदी का उच्च सदन के लिए चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि राज्य विधानसभा में एनडीए को बहुमत हासिल है। यदि आरजेडी के नेतृत्व में महागठबंधन प्रत्याशी उतारने का फैसला करता है तो 14 दिसंबर को वोटिंग होगी।
एलजेपी के दो ही विधायक होने के बावजूद बीजेपी और जेडीयू ने रामविलास पासवान को राज्यसभा में भेजा था। हालांकि, 2020 विधानसभा चुनाव में रामविलास पासवान के बेटे और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। उन्होंने चुनाव के दौरान नीतीश कुमार को निशाने पर रखा। जेडीयू की नाराजगी के बाद बीजेपी ने इस सीट को अब अपने पास रखने का फैसला किया है।
राज्यसभा की यह वो सीट है, जो रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई थी। लेकिन चिराग के बिहार चुनाव में अलग लड़ने के बाद शायद बीजेपी ने लोजपा को भी किनारे लगा दिया है। अगर ऐसा नहीं होता तो यह सीट लोजपा के खाते में जानी चाहिए थी। इस तरह से बीजेपी ने सुशील मोदी को एक तरह से प्रमोट कर दिया है और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी का डिमोशन हो गया है।