पूर्व IAS राजीव कुमार ने मंगलवार को नए चुनाव आयुक्त (Election Commissioner) के रूप में पदभार ग्रहण किया। उन्हें अशोक लवासा के स्थान पर चुनाव आयुक्त बनाया गया है। लवासा एशियाई विकास बैंक के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। झारखंड कैडर के 1984 बैच के सेवानिवृत्त IAS अधिकारी कुमार का कार्यकाल पांच साल का होगा और वह 2025 में सेवानिवृत्त होंगे।
वह साल 2024 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव के समय मुख्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। नियमानुसार, चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल या 65 वर्ष की आयु में से जो भी पहले हो, उस समय तक होता है। कुमार का जन्म फरवरी, 1960 में हुआ था।
राजीव कुमार ने 36 से अधिक वर्षों की सेवा के दौरान केंद्र और बिहार-झारखंड राज्य कैडर में विभिन्न मंत्रालयों में काम किया। वह इस साल फरवरी में केंद्रीय वित्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए और उन्हें 29 अप्रैल को सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (PESB) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
अशोक लवासा 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा में आए थे। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता के उल्लंघन मामले में क्लीन चीट मिलने का विरोध जताया था। चुनाव के कुछ समय बाद ही लवासा, उनकी पत्नी और उनके बेटे के खिलाफ आयकर विभाग का नोटिस भेजा गया था। लवासा का निर्वाचन आयोग में अपने कार्यकाल में अभी दो साल से अधिक का समय बचा है। वह अक्टूबर 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में सेवानिवृत्त होते।
बता दें कि जुलाई मध्य में बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसी एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एलान किया था कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के क्षेत्र से जुड़े कामकाज के लिए अपना उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। एडीबी ने एक बयान में कहा, ‘‘वह वर्तमान में भारत के चुनाव आयुक्तों में से एक हैं और पूर्व में भारत के केंद्रीय वित्त सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव और नागर विमानन मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं।’’ लवासा ने एडीबी में दिवाकर गुप्ता का स्थान लिया जिनका कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हुआ है।