नहीं रहे ‘भारत रत्न’ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ‘दादा’, 84 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

0
286

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अब हमारे बीच नहीं रहे। दिल्ली के एक अस्पताल में लंबे समय से उनका इलाज चल रहा था। जहाँ आज 84 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन की जानकारी ट्वीट करके दी।

अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट किया, ‘भारी दिल से आपको सूचित कर रहा हूं कि मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का आर.आर. अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे देश के लोगों की प्रार्थना के बावजूद निधन हो गया है। मैं आप सभी को हाथ जोड़कर धन्यवाद देता हूं।’

प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत प्रमुख हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘भारत के प्रथम नागरिक के रूप में, उन्होंने लोगों के साथ जुड़ने और राष्ट्रपति भवन से लोगों की निकटता बढ़ाने के सजग प्रयास किए। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के द्वार जनता के लिए खोल दिए। राष्ट्रपति के लिए ‘महामहिम’ शब्द का प्रचलन समाप्त करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक है।’

इससे पहले, प्रणब मुखर्जी का स्वास्थ्य और खराब हो गया था। अस्पताल ने बताया था कि उनके स्वास्थ्य में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि उन्हें फेफड़े में संक्रमण की वजह से सेप्टिक शॉक लगा है। सेप्टिक शॉक एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जिसमें रक्तचाप काम करना बंद कर देता है और शरीर के अंग पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करने में विफल हो जाते हैं।

सेना के अनुसंधान एवं रेफरल अस्पताल ने बताया था कि 84 वर्षीय मुखर्जी का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि वह गहरे कोमा में हैं और वेंटिलेटर पर हैं। पूर्व राष्ट्रपति को 10 अगस्त को यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। बाद में उनके फेफड़ों में भी संक्रमण हो गया था।

अस्पताल ने एक बयान में कहा था, ‘कल से श्री प्रणब मुखर्जी के स्वास्थ्य में गिरावट हुई है। फेफड़े में संक्रमण की वजह से उन्हें सेप्टिक आघात आया है और अभी उनका इलाज विशेषज्ञों की एक टीम कर रही है। वह अब भी गहरे कोमा में हैं और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।’ मुखर्जी 2012 से 2017 के बीच 13वें राष्ट्रपति थे।

प्रणब मुखर्जी 25 अक्टूबर 2006 से 23 मई 2009 तक भारत के विदेश मंत्री रहे। 24 जनवरी 2009 से मई 2012 तक वह देश के वित्त मंत्री भी रहे। 20 मई 2009 को वह जंगीपुर संसदीय सीट से ही 15वीं लोकसभा के लिए दूसरी बार चुने गए। प्रणब दा ने 25 जून 2012 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया। इससे पहले यूपीए की सरकार में वह संकट मोचन की भूमिका में रहे हैं। आर्थिक और राजनीतिक मामलों के जानकार और एक विद्वान व्यक्ति के रूप में उन्हें हमेशा सभी का स्नेह और सम्मान मिला है। वो उन राजनेताओं में से थे, जिन्हें हमेशा पक्ष और विपक्ष दोनों से भरपूर सम्मान मिला। आज उनका जाना भारतीय राजनीति के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here