सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने रविवार को विवादों के समाधान के लिए मध्यस्थता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में मध्यस्थता का दायरा विकसित हो रहा है। इसके चलते भारत मध्यस्थता और विवाद समाधान के लिए पसंदीदा स्थान के रूप में उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के लिए एक स्थायी माहौल स्थापित करने से न केवल अधिक व्यवसायों को आमंत्रित किया जा सकेगा बल्कि विदेशी व्यवसायों के साथ एक भरोसेमंद संबंध भी बनाया जा सकेगा। उन्होंने यह बातें दिल्ली हाईकोर्ट में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) रोहतक की ओर आयोजित मध्यस्थता और विवाद समाधान पर एक संयुक्त शिखर सम्मेलन में कहीं।
यहां अपने संबोधन में न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मध्यस्थता विदेशी व्यवसायों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है और विवादों के सुचारू समाधान का वादा करती है। उन्होंने कहा कि भारत में स्थितियों में सुधार हो रहा है और मध्यस्थता का दायरा विकसित हो रहा है, जिससे देश मध्यस्थता और विवाद समाधान के लिए एक पसंदीदा स्थान बन गया है।
इस मौके पर इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर और IIM रोहतक के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर भी किए गए। इस समझौते को लेकर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इंडिया इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (आईआईएसी) और आईआईएम रोहतक के बीच समझौता ज्ञापन मध्यस्थता की दिशा में बेहतर मार्ग बनाने में मदद करेगा। यह मध्यस्थता के बारे में खास तौर पर सीमा पार और अंतरराष्ट्रीय विवादों के संबंध में जागरूकता फैलाएगा। उन्होंने कहा कि आईआईएम रोहतक के पास प्रबंधन प्रथाओं, उपभोक्ता निर्णय लेने, आपूर्ति शृंखला, सार्वजनिक नीति, प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र में विश्व स्तरीय विशेषज्ञता है और यह आईआईएसी को अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाने में मदद कर सकता है।
इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों और उद्योगपतियों की भागीदारी के साथ वाणिज्यिक मध्यस्थता में सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा के साथ ही सकारात्मक कारोबारी माहौल बनाने के लिए कुशल और प्रभावी विवाद समाधान जैसे विषयों पर भी पैनल चर्चा हुई।
विशेष रिपोर्ट-
दिनेश कुमार जैन
‘नेशनल कॉरस्पॉडेंट’ -ELE India News