नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन पर अब मोदी सरकार और किसानों के धैर्य की परीक्षा होगी। सरकार इस आंदोलन से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए शाहीन बाग आंदोलन की तर्ज पर निपटेगी। सरकार की योजना किसान संगठनों को फिलहाल कोई नया प्रस्ताव न देने और उनकी मौजूदगी दिल्ली की सीमाओं तक ही सीमित रखने की है।
किसान संगठन अगर डेढ़ साल तक कानून को स्थगित रखने और सर्वपक्षीय समिति के प्रस्ताव पर नहीं माने तो सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का मन बना लिया है।
इस दौरान शाहीन बाग आंदोलन की तर्ज पर ही सरकार अपनी ओर से वार्ता की कोई पहल नहीं करेगी। गाजीपुर, सिंघु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर पर सड़कों पर बैरिकेड, बाड़ और कील लगाए गए हैं। इसका मकसद हर हाल में आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकना है।
इसके अलावा आंदोलनकारियों को एक निश्चित जगह तक ही सीमित रखना है। सरकार ने शाहीन बाग में भी ऐसी ही रणनीति अपनाई थी। आंदोलनस्थल को चारों ओर से घेर लिया गया था और सरकार की ओर से बातचीत की पहल नहीं की गई थी।
हम सभी जगह जाएंगे, पूरे देश में जाएंगे। 7 फरवरी को दादरी, हरियाणा में पंचायत है: किसान नेता राकेश टिकैत, आंदोलन को लेकर पंचायतों पर #FarmersProtest pic.twitter.com/DHlSLdzoiZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 4, 2021
धैर्य की परीक्षा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच अब धैर्य की परीक्षा की शुरुआत हो गई है। बातचीत के लिए नए सिरे से पहल न करने का मन बनाकर सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है। जबकि किसान संगठन अरसे से लंबी लड़ाई का दावा कर रहे हैं। ऐसे में अब दोनों पक्षों के धैर्य की परीक्षा है, जिसका धैर्य चूकेगा, वह लड़ाई से बाहर हो जाएगा।
सरकार पहले की तरह कमेटी (संयुक्त किसान मोर्चा) से बात कर ले। लेकिन वे (सरकार) बात नहीं कर रहे क्योंकि वे इस आंदोलन को लंबा चलाना चाहते हैं। हम बातचीत के लिए कहते रहेंगे कि बात करो: राकेश टिकैत #FarmersProtest pic.twitter.com/K8uogdYuan
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 4, 2021
सुप्रीम कोर्ट और उसकी समिति की बढ़ी अहमियत
सरकार और किसान संगठनों के बीच रस्साकसी जारी रहने के कारण पूरे मामले में अब सुप्रीम कोर्ट और उसके द्वारा बनाई गई समिति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। तीन सदस्यीय समिति ने करीब दो हफ्ते पहले काम शुरू किया है।
किसानों की मांग को मान लेना चाहिए। सरकार कहती है कि एक फोन कॉल की दूरी है, परन्तु एक फोन कॉल की दूरी अब नुकीली कील और तार से गुजरकर जाना होगा तो एक फोन कॉल बहुत दूर हो गया है: भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ #FarmersProtest pic.twitter.com/PSNAq5ZumN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 4, 2021
समिति को अगले महीने अपनी रिपोर्ट देनी है। सरकार ने भी तय किया है कि अगर किसान पुराने प्रस्ताव पर नहीं माने तो वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का इंतजार करेगी।