सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि विदेशों में भारत की छवि बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हुए हमलों का दावा करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान केंद्र ने सर्वोच्च अदालत में ईसाई संस्थाओं पर हुए हमलों के आंकड़ों को गलत करार दिया है।
अधिकांश ईसाई धर्म के अनुयायी थे
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही थी। पीठ को पहले याचिकाकर्ताओं ने बताया था कि 2021 से मई 2022 तक ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा के 700 मामले दर्ज किए हैं। गिरफ्तार लोगों में से अधिकांश ईसाई धर्म के अनुयायी थे। याचिकाकर्ता की इस दलील को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गलत करार दिया है। मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जो आंकड़े पेश किए है, वह पूर्ण रूप से गलत है। निराधार हैं।
याचिका निराधार है
मेहता ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से एक रिपोर्ट मंगवाई है। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 38 ऐसे मामले हैं, जिनमें दो पड़ोसी आपस में लड़े हों और उनमें से एक ईसाई धर्म में विश्वास रखता है। जबकि, याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि बिहार में कुल 500 ऐसे मामले हैं, जिनमें दो पड़ोसी आपस में लड़े और उनमें से एक पक्ष ईसाई था। मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की यह याचिका निराधार है। झूठे मामले की सुनवाई के कारण जनता में गलत संदेश जाएगा। याचिकाकर्ता विदेशों में यह सिद्ध करना चाहते हैं कि भारत में ईसाई खतरे में हैं। भारत को अपमानित कर भारत का नाम खराब करना चाहते हैं।
जवाब देने के लिए तीन सप्ताह समय दिया
याचिका में लिखा है कि छत्तीसगढ़ में कुल 495 हमले ईसाइयों पर हुए हैं। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में ऐसा कभी नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ में 64 गिरफ्तारियां की गईं हैं। वहां ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह समय दिया है। कोर्ट ने गृह मंत्रालय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड से ईसाई सदस्यों पर हुए हमलों की रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ हुए अपराध का मतलब यह नहीं है कि पूरे समुदाय के खिलाफ अपराध हो। भले ही याचिका में कथित 10 प्रतिशत मामले सही हों, लेकिन मामले की तह तक जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने कहा था कि जनहित याचिका में दर्ज 162 मामले जमीनी स्तर पर फर्जी पाए गए हैं।
विशेष रिपोर्ट-
अजय क्रांतिकारी
‘पॉलिटिकल एडिटर’ -ELE India News