हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले में आज उच्चतम न्यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले को भयानक बताया। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि वह ये बताए कि हाथरस मामले के गवाहों की कैसे सुरक्षा की जा रही है। फिलहाल मामले की एसआईटी जांच चल रही है। सुनवाई से पहले राज्य सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया। इसमें बताया गया कि संभावित दंगों के कारण प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को रात में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया था। खुफिया इनपुट से जानकारी मिली थी कि इस मामले को जाति/सांप्रदायिक रंग दिया जा सकता है। इसके अलावा सरकार ने दावा किया कि हाथरस मामले के बहाने राज्य में दंगा कराने की साजिश रची गई थी।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार से गवाहों और परिवार की सुरक्षा, पीड़ित परिवार के पास वकील है या नहीं और इलाहाबाद हाईकोर्ट का स्टेट्स क्या है, इन मुद्दों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे ने कहा कि हम पीड़ित पक्ष और गवाहों की सुरक्षा के यूपी सरकार के बयान को दर्ज कर रहे हैं। आप हलफनामा दाखिल करें। इसपर सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम कल तक हलफनामा दाखिल कर देंगे। सीजेआई ने कहा कि ठीक है, आप गवाहों की सुरक्षा को लेकर किए गए इंतजामों पर और पीड़ितों की सुरक्षा के बारे में हलफनामे में पूरी जानकारी दें।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह पूछा कि वह यह बताएं कि हाथरस मामले के गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा रही है। वहीं अदालत ने मामले को अगले हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह बेहद ही भयानक घटना है। हम अदालत में दोहराए जाने वाले तर्क नहीं चाहते हैं। न्यायालय ने हाथरस मामले में कहा कि हम इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दायरे के बारे में सभी से सुझाव चाहते हैं और हम इसका दायरा बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं।
पीड़िता के परिवार को मिली सुरक्षा
हाथरस पीड़िता के परिवार की मांग पर उन्हें पुलिस सुरक्षा मिल गई है। थोड़ी देर में मामले की सीबीआई जांच और केस दिल्ली हस्तांतरित करने वाली जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है।