नारकोटिक्स से रिटायर सब इंस्पेक्टर यादव, जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने और समाज की सेवा करने में जुटे..

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“दिन का चैन खोया ,
रातो की नींद गवाई हैं
अपनी मेहनत से तुम्हारे माता पिता ने
तुम्हारी पहचान बनाई हैं..”

क्या साथ लेकर आया था औऱ क्या साथ लेकर जाऊँगा मुझे मेरे दादाजी औऱ माता पिता ने अथक परिश्रम करके मुझे इस लायक बनाया और मैं किसी के काम आसकु तो इससे अच्छी सेवा क्या होगी और ये ही मेरे साथ जाएगी ये कहना है रिटायर्ड नार्कोडिक्स विभाग के सब इस्पेक्टर श्री जगदीश यादव का औऱ वो आगे बताते हैं कि दादा जी श्री अमरलाल जी यादव मुलतः नीमच निवासी थे यौवन काल में ही विधुर हो गये।रि मेरिज नहीं की। जब मैनें होश संभाला तब अपने आप को नानासाहब का मोहल्vला जावरा में किराए के घर में दादा जी की गोद में पाया।आर्थिक हालात काफी खराब थे तब दादा जी व व पिता श्री लालचंद जी यादव झालवा, रणायरा,भाटखेड़ा,खोड़ाना, पलासिया, बरखेड़ी,सेमलखेड़ी चिकलाना आदि गांवों में आकर मजदूरी(मकान व कुए निर्माण)का कार्य करते थे,जहां जैसे हालात बने वहीं रहे।हफ्ते में एकाध दिन जावरा आते थे।कालान्तर में गाँव चिकलाना में किराए का कमरा लेकर परिवार सहित रहने लगे।यहाँ के तत्कलीन ठाकुर स्व.रघुनाथ सिंह जी ने दादा श्री को एक भूखण्ड दे दिया जिसकी कीमत धीरे धीरे मजदूरी में अदा की गई।

बाद में पिता श्री ने उस भूखण्ड पर एक कमरे का कच्चा मकान बनवा लिया और हम यहाँ के स्थाई निवासी हो गए। पिता श्री चाहते थे कि उनके बच्चे पड़ लिख कर अच्छे इंसान बनें,उन्होंने मुझे यहाँ स्कूल में भर्ती करा दिया। दादा जी के स्वर्गवास के बाद पिता श्री अकेले पड़ गए इधर और भाई-बहन का जन्म होनें से परिवार भी बढ़ रहा था तत्कालिक समय मे ज्यादा काम धंधे भी नहीं थे,पिता श्री के सम्मुख अब समस्या थी कि बच्चों की परवरिश करे या उन्हें पढ़ाये।तब माता श्री श्रीमती कलावती यादव ने पिता श्री का साहस बढ़ाया “हालात जो भी हों हम पढ़ायेंगें अपने बच्चों को।”फिर क्या था “माँ ” नें हंसिया व कुदाल थामा निकल पड़ी मेहनत मजदूरी करने जमीदारों के बीड में घाँस काटा,खेतों में निंदाई गुड़ाई की।मैनें देखा है ” माँ ” के उस संधर्ष को भी जो भौर में उठ कर हाथ की घट्टी से दो जून के आटा पीसती थी खाना बना कर मजदूरी पर जाती और शाम को लौटते समय सिर पर लकड़ी का गट्ठर उठाये घर आती तांकि चुला जल सके। मैं माँ औऱ पिताजी के जिंदगी मैं कभी नही भूल सकता हूँ ,उन्होंने अपना पेट काटा मेहनत मजदूरी की औऱ हमे पढ़ाया
आज हम जो कुछ भी हैं उन्हीं की मेहनत का फल हैं !

माँ पिता जी तुम्हे प्रणाम ,
माँ और पिता के कदमो मैं ही जन्नत हैं !

कालान्तर में जाकर हम कुल चार भाई व दो बहनें हुई। माता पिता का जीवन संघर्ष हमारे लिए एक अद्भुत प्रेरणा स्त्रोत है।
मेरा जीवन:-चिकलाना से मिडिल पास कर,ढोढर के जनता हाई स्कूल से 10 विन की आगे की पढ़ाई BA तक जावरा के महात्मा गांधी हायर सेकंडरी व भगत सिंह महाविद्यालय से की इस दौरान प्रातः 7.45 पर हर मौसम में साइकिल से लगभग 38 किलो मीटर सफर किया( जाना आना,आर्थिक कारणों से किराए का मकान के पाना संभव नहीं था) था जनवरी 1976 में मैं केंद्रीय नाटकोटिक्स ब्यूरो नीमच में (वेतन मान रु.196-232 ) में पदस्थ हुआ।1978 में जावरा स्थानांतर पर आया तथा यहाँ समय-समय पर छोटे भाई बहनों को साथ रखा व उनके शैक्षणिक गतिविधियों में सहयोग किया ।

2.अनुज ओमप्रकाश यादव आरम्भ से ही प्रतिभावान रहे गाँव से मिडिल करने के बाद उन्हें प्रतिभाखोज परीक्षा में सफलता मिलने से 100/-रु. मासिक छात्रवृति की पात्रता आई, वो जावरा आ गये।महात्मागांधी हायर सेकण्डरी के हॉस्टल में रहे चिराग में पढ़ाई की हाथों से रोटियां बनाई।हायर सेकंडरी करते ही वे क्रमशः भारतीय डाक तार विभाग में टाइम स्केल क्लर्क व भारतीय स्टेट बैंक में कैशियर कम क्लर्क बनें इस दौरान वो अम्बिकापुर (वर्तमान छत्तीसगढ़)में लगभग तीन वर्ष पदस्थ रहे बाद मन्दसौर स्थानांतर पर आ गए ।यहाँ से उन्होंने नोकरी के साथ-साथ निजी छात्र के रूप में BA व MA किया। MA अर्थशास्त्र में गोल्ड मेडलिस्ट रहे। दो बार MPPSC से सफल होकर क्रमशः आयकर अधिकारी व उप-जिलाधीश पदस्थ रहे ।बाद में UPSC से सफल होकर IRS हुए,वर्ष 2020 में मुख्य आयकर आयुक्त के रूप में सेवा निवृत होकर वर्तमान में अपने बच्चों के साथ बेगलौर में निवास रत है।
2:- अनुज जय प्रकाश यादव ने मिडिल करने के बाद मेरे साथ ही रह कर जावरा BA तक शिक्षा यहीं से ग्रहण की तथा पँचायत सचिव बने लगभग 2 वर्ष धराड़ में सेवा करने के बाद मुझे बताया ” मुझे ये नोकरी रास नहीं आ रही है भविष्य में अल्प वेतन में परिवार चलाना मुश्किल होगा मुझे आगे बढ़ना है इसके लिये मुझे ये नोकरी छोड़ना होगी।अगर छोडता हूँ तो पिता जी नाराज होंगें।”

तब मैनें उन्हें आश्वत किया यदि आप वाकई आगे बढ़ने का जुजुन रखते हो तो नोकरी छोड़ दो पिता जी को मैं मना लूंगा।” वो नोकरी छोड़ कर पुनः जावरा मेरे पास आ गए पिता जी की नाराजगी के चलते उन्होंने फिर मेरे मना करने के बावजूद आलोट के पास एक गाँव में प्राथमिक शिक्षक के पद पर ज्वानिंग दे दी मग़र सिर्फ 6 माह में पुनः त्याग पत्र देकर मेरे पास जावरा आ गए। खाचरौद कालेज से MA समाजशास्त्र में किया।भारतीय जीवन बीमा निगम मन्दसौर में नियुक्ति मिली,लगभग 4 वर्ष की सेवा के बाद MPPSC से सहायक प्राध्यापक मनासा कालेज में नियुक्त हुए,पुनः MPPSC देकर जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण बने।वर्तमान में संभागीय उपायुक्त नर्मदापुरम ( होशंगाबाद बाद ) पदस्थ हैं।

3:- सबसे छोटे भाई हरीश कुमार यादव शायकीय कन्या हायर सेकण्डरी ढोढर में उच्च माध्यमिक शिक्षक पदस्थ होकर वतर्मान में हम दोनों भाई एक ही छत के नीचे माता श्री के सानिंध्य में गाँव चिकलाना में ही निवास करते है।
दोनो बहनो में से उस वक्त एक हायर सेकंडरी था दुसरो BA पास है जो वर्तमान में अपनी अपनी ससुराल में प्रसन्न है।
मेरा एक मात्र बेटा दर्शन यादव असिस्टेंट कमांडेंड CRPF होकर कर्तव्य परायणता व वीरता के राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित है बड़ी बेटी मिडिल स्कूल में शिक्षक व छोटी बेटी बेंगलोर में अपने इंजीनियर पति के साथ ख़ुश है।

मेरी सारी पारिवारिक जिम्मेदारियाँ पूर्ण होने के बाद मैं मार्च 2014 में स्वेच्छिक सेवा निवृती लेकर आपने पैतृक गांव आकर बस गया जहाँ पर अब 2015-16 से निरंतर अपने पिता ” स्व.श्री लालचंद जी यादव स्मृति शिक्षा केन्द्र” के बैनर तले गाँव के बच्चों को जवाहर नवोदय,उत्कृष्ठ ज्ञानोदय जैसे आवासीय विद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय मिन्स कम मेरिट परीक्षा(जिसमे निम्न आय वर्ग के सफल विद्यार्थी को कक्षा 9 से 12 तक प्रतिमाह 1000/-रु छात्रवृति चार वर्ष में कुल 48000/-रु मिलती है) की निःशुल्क ट्रेनिग दे रहा हूँ तथा हर वर्ष मेरे छात्र सफल हो रहे है।मेरा यह कार्य ही मेरे पिता श्री को सच्ची श्रद्दांजलि है जिन्होंने जीवन में धूप ,गर्मी,ठंड ,बारिश झेलते हुए, भूख-प्यास काट कर हमें बनाया।
इस सारी कहानी में कोई अतिशयोक्ति नहीं है ये तत्कालीन हालतों का कटु सत्य है।

मेरे अन्य दो भाई भी समय समय पर हम लोंगो से मिलने समय समय आते है जब वो आते तब मेरे घर मे एक उत्सव सा माहौल होता है।
मेरी शैक्षणिक गतिविधियों की वजह से 14 अगस्त 2022 को सयाजी होटल इंदौर में आयोजित ” आजादी का अमृत महोत्सव ” कार्यक्रम में सयाजी क्लब द्वारा ” अम्रत अलंकरण ” से सम्मान किया गया वहीं मध्य-प्रदेश शिक्षक संघ पिपलौदा द्वारा भी 15 अगस्त 2022 को गरिमामय कार्यक्रम में सम्मान पत्र ,शाल ,श्रीफल भेंट कर सार्वजनिक सम्मान किया गया।

“वही इंसान सफलता हासिल कर सकता हैं
जो कड़ी मेहनत करना औऱ बड़े सपने देखना जानता हो..”

प्र.1:-आपने शिक्षा क्षेत्र ही क्यों चुना?
उत्तर:- शिक्षा ही एक ऐसा क्षेत्र था जिसके माध्यम से भावी पीढ़ी की बुद्धि व विवेक की शुद्धि हो सके। शिक्षित व संस्कारित युवा पीढ़ी ही किसी भी देश के आर्थिक व सामाजिक विकास का आधार होने के साथ-साथ ही देश को एक बेहतर नेतृत्व दे सकती है।
दूसरा ये कि मेरे परिवार में मेरे दो भाई व एक बेटा MPPSC व UPSC से सफल होकर क्लास वन आफिसर है। अम मैं इस सोच के साथ काम कर रहा हूँ कि मेरा परिवार ही क्यों?मेरे गांव मेरा परिवार हैं गांव का हर बच्चा मेरा बच्चा हैं , गाँव का हर बच्चा आगे बढे। तो मुझे खशी होगी औऱ सच्चे अर्थों मैं मेरी माता पिता का सपना पूरा होगा
प्र.2:- वर्तमान में शिक्षा प्रणाली में क्या सुधार चाहते हैं ?
उत्तर:-शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी मूल भूत आवश्यकता सरकार की प्राथमिकता होना चाहिए। निजी विद्यालयों को आर्थिक सहायता व अनुदान देने की बनिस्बत सरकारी विद्यालयों में समुचित फेकल्टी उपलब्ध कराना,कम्प्यूटर लेब के साथ-साथ खेल शिक्षक हर हायर सेकण्डरी विद्यालय में नियुक्त हो जिससे बच्चों की खेल प्रतिभाओं को बडावा मिल सकें। विद्यालयों में चपरासी तक नहीं है ऐसे में बच्चे ही कक्ष में झाड़ू लगाते हुए देखे जा सकते है जो निंदनीय है।वर्तमान में शिक्षा जगत में भी भृस्टाचार की जड़े पनप चुकी है जो दुःखद है।नव निर्मित भवन उद्घाटन के पहले ही जर्जर हो जाते है,हाल ही में छात्रवृति तथा शिक्षकों के EPF जैसे घोटाले हुए है। जो निंदनीय है।
प्र.3;-आपने अपना कार्यक्षेत्र गाँव ही क्यों चुना?
उत्तर:- शहरों में बच्चों की कोचिंग के लिये अनेक विकल्प उपलब्ध होते है,मग़र गाँव मे ये सुविधाएं नहीं होती है।यहाँ के गरीब बच्चे सिर्फ कोचिंग के लिए बाहर जाने में सक्षम भी नहीं होते हैं !
प्र 4:-आपने निःशुल्क शिक्षा का मार्ग क्यों चुना?
मैनें बचपन से ही माता-पिता के जीवन संघर्ष को देखा है, किसी हालातों में उन्होनें मेहनत मजदूरी कर हम 6 भाई बहनों को पाला-पोसा ,पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया।अन्यथा मैं भी उनकी तरह गाँव-गाँव, गली-गली रोजी ,रोटी के लिए भटक रहा होता। वर्तमान में मुझे 40,000/-रु मासिक पेंशन मिल रही है जो जीवन यापन के लिए किसी भी सूरत में कम नहीं।मेरा एक मात्र बेटा दर्शन यादव भी CRPF में असिस्टेंट कमाण्डेन्ट पदस्थ है। अतः मानसिक संतोष से बड़ा कोई धन नहीं होता।
” पूत सपूत तो क्यों धन संचे, पूत कपूत तो क्यों धन संचे।” जीवन मे अनुकरणीय वाक्य है।
प्र.5:- आपको इस क्षेत्र में क्या दिक्कते आती है?
माता-पिता में जागरूकता का अभाव। बच्चे समय पर व नियमित कोचिंग नहीं आते ,होम पर वर्क समय पर नहीं करते। जो बच्चे नियमित आते है पढ़ाई में रुचि रखते है वो सफल होते है।
प्र.5:-देश के युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर-युवा पीढ़ी किसी भी देश का भविष्य होती है।यही वो उम्र है जो उनके सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित करती है। किसी भी कार्य को अंजाम देने से पहले उसके संभावित भावी परिणामों,दुष्परिणामों पर गहनता से चिंतन करना चाहिए। जहाँ तक हो उत्तेजित भीड़ का हिस्सा बनने से बचे।बहुधा भीड़ में हम अपनी बुद्धि विवेक का सही उपयोग नहीं कर कर पाते है तथा उन अनचाही धटनाओं का शिकार हो जाते है जो हमारे सम्पूर्ण भावी जीवन को कष्टमय बना सकती है।अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखे,नशा प्रवर्ती से दूर रहे,अगर आप काबिल इंसान बन कर अपने बचपन व माता पिता के उस संघर्ष को भूल गए जिसकी वजह से आप काबिल हुए तो मैं मानता हूं की आपकी वो कनिलियत ही आपके जीवन का बदनुमा दाग साबित होगा। जाती और धर्म अपनी जगह है ,मगर इंसानियत सर्वोपरि।
प्र.6:-शिक्षा सेवा को अपनाने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
मेरे स्व.पिता शिक्षकों को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखते थे तथा वो चाहते थे कि मेरे बच्चे भी कभी शिक्षक की सम्मानित गद्दी पर बैठ सकें,किन्तु में शिक्षक के स्थान पर वर्दीधारी बन गया।सेवा निवृत्त होनें के बाद यूँ ही एक रात विचार हुआ कि अब धनोपार्जन करना ही नहीं तो क्यों ना बच्चो को निशुल्क कोचिंग देकर अपने स्व.पिता के उस सपने को पूरा किया जाये।और सच्चे अर्थों में उनकी श्रद्दांजलि स्वरूप उनके नाम के बैनर तले कोचिंग आरम्भ कर दी। इस सब की प्रेरणा के पीछे मेरे माता पिता का जीवन संघर्ष है।
प्र.7:-वर्तमान राजनीति के विषय मे आप क्या सोचते है?
राजनीति में कभी जो देश सेवा की भावना थी वो अब नहीं रहीं। अधिकांश राजनेताओं में निजी स्वार्थ निहित हो चुका है।कब ,कौन ,कैसे व कहाँ पलटी मार दे कहा नहीं जा सकता! सिदाँतो की राजनीति अब नहीं रही।संवैधानिक मर्यादाओं को अक्सर तार तार होते देखा जा सकता है। संसद सत्र में जन हितेषी कार्यो पर बहस करने से ज्यादा समय एक दूसरे पर कीचड़ उछालने तथा गड़े मुर्दे उखाड़ने तक सीमित हो गया है। ये देश का दुर्भाग्य है। व्यक्तिगत रूप से मैं पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी की बेबाक व स्पस्टवादी विचारधारा का कायल हुँ वहीं श्री मनमोहन सिंह जी की विकास वादी विचारधारा का भी समर्थक।
सपना किया पूरा तुमने माँ बाप का
माँ बाप की शान बढ़ाई हैं
सलाम तुम्हारे जज्बे को , औऱ दिल से तुम्हे बधाई हैं !

धन्य हैं जगदीश जी आपके माता पिता जिन्होंने आपके जैसे होनहार
पुत्र को जन्म दिया !
मैं प्रणाम करता हूँ आपके माता पिता को
औऱ मुझे यह कहते हुए फक्र हैं कि आप मेरे मित्र हैं और मुझे यह कहते हुए गर्व हैं कि आपने अपने माता पिता का सपना पूरा किया और कर रहे हैं वर्ना आज के युग मैं आप के जैसे लोग कहा मिलते है !
आपके माता पिता को औऱ आपको नमन हैं कि सच्चे अर्थो में सही सेवा आप ही कर रहे हैं !
औऱ आप राष्ट्पति औऱ प्रधानमंत्री जी दिए जा रहे पुरस्कार के हक दार हैं आपके भी मिलना चाहिए !
हम दुवा करेंगे कि पुरस्कार आपको भी मिले !

आपसे टेलीफोन पर जो जानकारी दी हैं उसके अनुसार-

विशेष रिपोर्ट-

प्रकाश बारोड़
‘सह-संस्थापक’
एवं ‘स्टेट ब्यूरो चीफ’- मध्य प्रदेश

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