जैसे-जैसे इस साल चार राज्यों के विधानसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, कांग्रेस अपनी चुनावी रणनीति में बड़े बदलाव के संकेत देती जा रही है। यह बदलाव चुनावी परिणाम में कितने बदलेंगे, यह तो विधानसभा के चुनाव ही बताएंगे, लेकिन पार्टी ने आने वाले चुनावों में अपनी नई रणनीति के तहत ‘चेहरे वाली’ पॉलिटिक्स को आगे करके भाजपा को घेरने की बड़ी कोशिश शुरू कर दी है। इस कड़ी में पहला सफल प्रयोग कर्नाटक की राजनीति में किया गया। पिछले सप्ताह कांग्रेस की हुई बड़ी बैठक में इस प्रयोग को आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में लागू करने की योजना बनाई गई। इसके लिए पार्टी ने बाकायदा कुछ बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर अगले हफ्ते इसकी पूरी डिटेल रिपोर्ट की मांगी है। इस रिपोर्ट में कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अपने स्थानीय बड़े चेहरे और भाजपा के स्थानीय बड़े चेहरों की पूरी रिपोर्ट सौंप कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े नेताओं का मानना है कि कर्नाटक में जिस तरीके से चुनाव हुए और उसमें कांग्रेस ने अपने दो बड़े नेताओं के चेहरों को आगे रखकर चुनाव लड़ा वह एक बड़ा सफल प्रयोग माना जा रहा है। पिछले शनिवार को हुई कांग्रेस की एक बड़ी बैठक में शामिल पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि ऐसी रणनीति के साथ कांग्रेस आने वाले विधानसभा के चुनावों में भाजपा को घेरने की बड़ी तैयारी कर रही है। उनका तर्क है कि विधानसभा चुनावों में भी भाजपा अपने सिर्फ एक चेहरे प्रधानमंत्री मोदी को लेकर के ही मैदान में उतरती है। इसके अलावा भाजपा अपने हिंदुत्व के मुद्दे के साथ हर राज्य में चुनावी फील्डिंग सजाती है। वह कहते हैं कि हर राज्य में प्रधानमंत्री के एक चेहरे को लेकर भाजपा पहुंचती तो जरूर है, लेकिन बीते कुछ चुनावों में उनका यह फॉर्मूला फेल हो गया है। वह कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में स्थानीय स्तर के नेताओं को अगर आप सामने नहीं रखेंगे और हर वक्त प्रधानमंत्री के चेहरे को आगे रखेंगे तो नतीजा कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसा ही होगा।
इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अब भाजपा के इस फॉर्मूले को पीछे करते हुए अपने सभी स्थानीय स्तर के नेताओं को आगे लाने की तैयारी की ली है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि भाजपा जब-जब प्रधानमंत्री को आगे करके चुनाव में आती रहेगी, वह अपने राज्यों में स्थानीय नेताओं को आगे करके अपनी सियासी फील्डिंग मजबूत करते रहेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस पार्टी वन मैन शो के तौर पर भाजपा की तरह चुनाव में बिल्कुल नहीं जाने वाली। वह कहते हैं कि उनके पास राज्यों में न सिर्फ बड़े नेताओं के नाम हैं, बल्कि वह चेहरे भी हैं जो लगातार सत्ता पक्ष या विपक्ष में रहने के बाद भी जनता के बीच में बने हुए हैं। इसके अलावा पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व और राहुल गांधी प्रियंका गांधी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे समेत पार्टी का पूरा नेतृत्व सियासी मैदान में तो जुटता ही है।
पार्टी से जुड़े सूत्रों का मानना है कि राजस्थान में पार्टी अशोक गहलोत के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ने की तैयारी में आ चुकी है। इसी तरह मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नाम के साथ पार्टी राज्य के चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने वाली है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पार्टी स्थानीय नेताओं को आगे करके चुनाव लड़ने की पूरी योजना बना चुकी है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता पीएल पुनिया कहते हैं कि उनकी पार्टी हमेशा से अपने राज्य के नेताओं को साथ लेकर ही सियासी मैदान में उतरती है। उनका कहना है कि भाजपा तो अपने हाथों से छोटे चुनाव में सिर्फ एक ही चेहरे को आगे रखकर सियासी मैदान में उतर जाती है। इसका सीधा और साफ मतलब यही है या तो भाजपा के पास चेहरों की कमी है या फिर वह अपने किसी राज्य के दूसरे बड़े चेहरे को आगे लाना ही नहीं चाहते है। पुनिया कहते हैं कि हमेशा की तरह आने वाले विधानसभा के चुनावों में भी उनकी पार्टी केंद्र के बड़े चेहरों के साथ स्थानीय चेहरों को आगे रखकर ही सियासी मैदान में उतरेगी।
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि अगर कांग्रेस इसी तरह से अपनी सियासी रणनीति को हकीकत में जमीन पर उतारती है, तो निश्चित तौर पर आने वाले चुनाव में उसके लिए यह रणनीति कारगर साबित हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार धर्मेश प्रभाकर कहते हैं कि कर्नाटक में जिस तरीके से भाजपा में अपने सबसे बड़े नेता येदुरप्पा को पीछे कर दिया, उसका खामियाजा भी उनको भुगतना पड़ा। हिमाचल प्रदेश में भी कमोवेश प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे रखकर ही पार्टी सियासी मैदान में उतरी। जबकि हिमाचल में भाजपा के पास कई ऐसे बड़े चेहरे थे, जिनको आगे रखकर पार्टी चुनाव लड़कर परिणाम बदल भी सकती थी। प्रभाकर कहते हैं कि संभव है भाजपा ने इस पर अपनी अंदरूनी कोर कमेटी की बैठक में चर्चा की ही होगी। लेकिन कांग्रेस की अगर यह योजना हकीकत में जमीन पर उतरती है, तो इसके पार्टी को कई फायदे भी होंगे।
राजनीतिक जानकार और चुनावी सर्वे करने वाली एक बड़ी एजेंसी से जुड़े डॉक्टर रुपेश परिहार कहते हैं कि चुनाव में भाजपा की रणनीति मोदी बनाम राहुल गांधी कराने की रहती है। उनका कहना है कि इसमें भाजपा को मजबूत सियासी लाभ मिलने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं। रुपेश कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस बात को समझ चुकी है। शायद यही वजह है कि पार्टी ने कम से कम विधानसभा चुनावों में अपने स्थानीय स्तर के नेताओं को आगे कर सियासी फील्डिंग मजबूत करनी शुरू कर दी है। उनका मानना है कि अगर भाजपा प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को आगे करती भी है, तो कांग्रेसी स्थानीय स्तर के किसी नेता के चेहरे को आगे करके सियासी मैदान में अपनी सियासी फील्डिंग को मजबूत करने का दावा कर सकते हैं।
विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News