भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बातचीत खत्म हो चुकी है। बताया जा रहा है कि शनिवार को 12वें राउंड की सैन्य वार्ता करीब 9 घंटे तक चली। आर्मी सूत्रों से मिल रही खबरों के मुताबिक यह वार्ता शाम 7.30 बजे खत्म हुई है। यह वार्ता लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीनी की सीमा में स्थित ओल्डी में हुई। बताया जा रहा है कि 9 घंटे तक चली इस वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव खत्म करने को लेकर दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच चर्चा हुई है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के पास उभरे विवाद के बाद से भारत और चीन के सैनिकों में संघर्ष के कारण सीमा पर स्थिति काफी तनावपूर्ण है। इस तनाव को कम करने के लिए अब तक कई दौर की वार्ता हो चुकी है। जिसके बाद फिलहाल एलएसी के पास शांति तो है लेकिन तनाव कम नहीं हुआ है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाली जगहों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया कैसे शुरू हो इसके लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता के दौरान चर्चा किया गया। इससे पहले रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि इस बातचीत का उद्देश्य 14 महीनों से ज्यादा समय से इस क्षेत्र में जारी गतिरोध को खत्म करना है। बताया गया था की बातचीत निर्धारित समय पर सुबह साढ़े 10 बजे शुरू हुई। सूत्रों ने बातचीत के बारे में इससे पहले कहा था कि भारत को हॉट स्प्रिंग और गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है।
बातचीत का यह दौर पिछली बार हुई वार्ता से साढ़े तीन महीने से भी ज्यादा समय के बाद हुआ है। इससे पहले 11वें दौर की सैन्य वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर भारत की ओर चुशुल सीमा बिंदु पर हुई थी और यह बातचीत करीब 13 घंटे तक चली थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर के दृढ़ता के साथ अपने चीनी समकक्ष वांग यी को यह बताने के करीब दो हफ्ते बाद वार्ता का 12वां दौर खत्म हुआ है।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने 14 जुलाई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर करीब एक घंटे तक द्विपक्षीय बैठक की थी। बैठक में जयशंकर ने वांग को बताया था कि एलएसी पर यथास्थिति में कोई भी एक पक्षीय बदलाव भारत को मंजूर नहीं है और पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से शांति और स्थिरता बहाल होने के बाद ही संबंधों का विकास हो सकता है।
पिछले दौर की सैन्य वार्ता में दोनों पक्षों ने हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देप्सांग में सैनिकों की वापसी की दिशा में आगे बढ़ने के रास्तों पर चर्चा की थी जिसका व्यापक उद्देश्य क्षेत्र में तनाव को कम करना था। हालांकि सैनिकों की वापसी की दिशा में कोई और प्रगति नहीं हुई।