“जब कोविड-19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन और बेड नहीं हैं तो उन्हें रेमडेसिविर दवा कैसे मिलेगी”? -दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को केन्द्र और ‘आप’ सरकार से पूछा कि जब कोविड-19 रोगियों को व्यापक रूप से रेमडेसिविर (Remdesivir) दवा लेने की सलाह दी जा रही है तो फिर राजधानी में इसकी किल्लत क्यों है। केन्द्र सरकार ने जब बताया कि रेमडेसिविर का सेवन केवल अस्पतालों में किया जा सकता है तो अदालत ने कहा कि जब अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन और बेड्स ही उपलब्ध नहीं हैं तो वे यह दवा उन्हें कैसे मिलेगी। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत के औषधि महानियंत्रक को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए उनके वकीलों को दिल्ली में दवा की किल्लत के बारे में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल को भी ऐसा ही निर्देश दिया गया और अदालत ने इस मामले की सुनवाई लंच के बाद के लिए स्थगित कर दी गई। अदालत ने कहा कि आज पूरा शहर परेशान है क्योंकि उन्हें यह दवा नहीं मिल रही है। सरकार द्वारा पूरी खरीद की जाती है, फिर ऐसा क्यों हो रहा है। अदालत ने अग्रवाल से पूछा कि सुनवाई कब शुरू होगी।

अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली में दवा बनाने की सुविधा नहीं है और यह अन्य राज्यों से प्राप्त होती है जो अपनी मांगों को पूरा करने के बाद ही उसे दवा बेचते हैं। उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि दवा का एक बड़ा स्टॉक इस साल फरवरी में एक्सपायर हो गया था क्योंकि इससे पहले डॉक्टरों द्वारा सक्रिय रूप से इसे प्रिस्क्राइब्ड नहीं किया गया था। हालांकि, अदालत प्रिस्क्राइब नहीं किए जाने की बात से सहमत नहीं हुई और कहा कि दवा हर जगह डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब की जा रही थी। हाईकोर्ट ने यह भी पूछा, “क्या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इसकी अनुमति नहीं दी थी?” हाईकोर्ट एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जो COVID-19 से पीड़ित है और उसे रेमडेसिविर की छह में से केवल तीन खुराक ही प्राप्त हो सकी थीं। वकील ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट से दिल्ली सरकार द्वारा उसे दवा की शेष खुराक प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। 

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