चुनाव आयोग (EC) ने राजनीतिक दलों से पूछा- चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा क्या हो ?

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चुनाव आयोग (ईसी) ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय पार्टियां से सुझाव मांगा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा क्या होनी चाहिए। आयोग ने सात दिसंबर को भेजे एक पत्र में विभिन्न पार्टियों से कहा कि वे भविष्य में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की सीमा के बारे में अपने विचार और सुझाव भेजें।

समिति के नोडल अधिकारी को अपने विचार सौंपने होंगे:
आयोग ने विभिन्न दलों से कहा कि वे व्यय सीमा में संशोधन के लिए अक्टूबर में गठित समिति के नोडल अधिकारी को अपने विचार भेजें। उम्मीदवारों के लिए अपने चुनाव अभियान में खर्च करने की सीमा होती है लेकिन राजनीतिक दलों पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं होती है। समिति को मतदाताओं की संख्या में वृद्धि और खर्च मुद्रास्फीति सूचकांक बढ़ने के मद्देनजर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा में संशोधन के विषय पर गौर करने का जिम्मा सौंपा गया है।

2014 में बढ़ाई गई थी खर्च सीमा:
उम्मीदवारों के लिए व्यय सीमा आखिरी बार 2014 में संशोधित की गई थी। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए यह सीमा 2018 में बढ़ाई गई थी। चुनाव आयोग ने समिति के गठन की घोषणा करते हुए अक्तूबर में कहा था कि पिछले छह वर्षों में खर्च की सीमा में वृद्धि नहीं की गई जबकि मतदाताओं की संख्या 83.4 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2019 में 91 करोड़ हो गई और अब यह 92.1 करोड़ हो गई है। दूसरी ओर, इस दौरान खर्च मुद्रास्फीति सूचकांक 220 से बढ़कर 2019 में 280 हो गया और अब यह 301 हो गया है। समिति के अगले साल अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।

कोरोना काल में खर्च की सीमा 10% बढ़ाई गई थी:
कोरोना वायरस महामारी के बीच चुनाव प्रचार में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अक्तूबर में चुनाव आयोग की सिफारिशों के आधार पर मौजूदा व्यय सीमा को 10 प्रतिशत बढ़ा दिया था। दस प्रतिशत की यह वृद्धि बिहार विधानसभा चुनाव और विभिन्न उपचुनावों में लागू थी। दरअसल, राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि खर्च की सीमा को बढ़ाया जाए। पार्टियों का कहना था कि महामारी होने से और डिजिटल तरीके से अभियान करने से खर्च बढ़ गया है। ये आमतौर पर होने वाले चुनाव से ज्यादा महंगा हो गया है।

क्या है मौजूदा खर्च की सीमा:
करीब 20 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में अब विधानसभा और लोकसभा में उम्मीदवारों के खर्च करने की सीमा बढ़कर क्रमशः 30.8 लाख और 77 लाख रुपए हो गई है। वहीं 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब ये सीमा बढ़कर 22 लाख और 59 लाख हो गई है।

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