भारी हंगामे के बीच विजय कुमार सिन्हा बने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर)

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बिहार में स्पीकर पद के लिए चुनाव के बीच आज भारी हंगामा देखने को मिला और आखिरकार  विजय कुमार सिन्हा के नाम पर मुहर लग गई। एनडीए उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा विधानसभ  के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। ऐसा पहली बार है जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी से कोई स्पीकर बना है। बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पर निर्विचित होने वाले विजय सिन्हा पहले भाजपा विधायक हैं। इससे पहले कभी भी बिहार में भारतीय जनता पार्टी का स्पीकर नहीं बना था। विजय कुमार सिन्हा ने राजद के विधायक अवध बिहारी सिंह को पटखनी देकर यह खिताब अपने नाम किया है।

बिहार विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा चौथी बार लखीसराय से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। मार्च 2005 में वे पहली बार विधायक निर्वाचित हुए लेकिन अक्टूबर 2005 के चुनाव में 80 मतों से हार गए। साल 2010 में फिर जीत हासिल हुई। 2015 के बाद 2020 में भी वे लखीसराय से चुनाव जीते। साल 2017 में 29 जुलाई को एनडीए सरकार में श्रम संसाधन विभाग का मंत्री बनाया गया। बतौर मंत्री बेगूसराय के प्रभारी मंत्री रहे। 

विजय कुमार सिन्हा वर्ष 1980 में बाढ़ नगर में भाजपा से जुड़े और 1992 में पटना महानगर भाजपा के अधीन लोकनायक मंडल के अध्यक्ष बने। वर्ष 2002 में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव, 2004 में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य तो साल 2013 व 2015 में प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सहित कई अहम सांगठनिक पदों पर रहे। 

तेजस्वी ने कहा, आज लोकतंत्र की हत्या की जा रही है

तेजस्वी यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव पर कहा कि आप सब लोगों को साथ लेकर चलें। बिहार लोकतंत्र की जननी है। आज लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। आप सब लोगों के संरक्षक हैं। आपको सबको लेकर चलना होगा, सबको संरक्षण देना होगा। हम झूठ और असत्य का साथ नहीं दे सकते, हम चुप नहीं बैठ सकते। हम सब लोगों ने जनादेश को स्वीकार किया है। हम लोग मर्यादा में रहने वाले लोग हैं। सत्ता में रहने वाले लोगों को इतना अहसास होना चाहिए कि नियम-कानून का माखौल नहीं उड़ाना चाहिए।

लालू-राबड़ी सरकार में मंत्री रहे हैं अवध बिहारी

विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी सीवान से पांचवी बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं। उन्होंने पूर्व सांसद और भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश यादव को हराया। वह सर्वप्रथम 1985 में चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी से जीते। वर्ष 1990 और 1995 में वे जनता दल के टिकट पर जीते और लालू सरकार में मंत्री बने। वर्ष 2000 में राजद प्रत्याशी के रूप में जीते। वे 1990 से 2005 तक लालू और राबड़ी सरकार में मंत्री रहे। वर्ष 2005 का चुनाव हार गए। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से पूर्व वे जदयू में चले गए और 2017 में फिर राजद में वापसी की। तब उन्हें राजद के प्रदेश संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। वे अभी भी इस पद पर हैं।

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