भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोपों और विपक्षी पार्टियों के भारी दबाव के बाद आखिरकार बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। मेवालाल पर नियुक्ति के मामले में घोटाले का आरोप है। राजद नेता तेजस्वी यादव समेत अन्य विपक्षी दल लगातार उन पर हमले कर रहे थे। पत्नी की मौत के मामले में हत्या का भी नया आरोप लगाया जा रहा था। गुरुवार की सुबह ही मेवालाल ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया था। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने मेवालाल का इस्तीफा तत्काल राज्यपाल भी भेज दिया। राज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर अशोक चौधरी को मेवालाल के विभाग का प्रभार दे दिया है।
Bihar Education Minister Mewa Lal Choudhary resigns. pic.twitter.com/Uo8K5bbIHB
— ANI (@ANI) November 19, 2020
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार मेवालाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को उठा रहे हैं। आज भी उन्होंने इस मसले पर ट्वीट कर हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हत्या और भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में IPC की 409, 420, 467, 468, 471 और 120B धारा के तहत आरोपी मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाने से बिहारवासियों को क्या शिक्षा मिलती है?
मैंने कहा था ना आप थक चुके है इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है।
जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया
थू-थू के बावजूद पदभार ग्रहण कराया
घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया।असली गुनाहगार आप है। आपने मंत्री क्यों बनाया??आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 19, 2020
इससे पहले गुरुवार की सुबह मेवालाल ने पदभार ग्रहण किया। पद संभालने के बाद मेवालाल ने कहा कि शिक्षा में बदलाव के लिए सरकार ने जो-जो कदम उठाया है उसे आगे बढ़ाएंगे। शिक्षा में बदलाव को लेकर रोडमैप बनाकर काम होगा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हमारी प्राथमिकता होगी। सिलेबस में जरुरत के हिसाब से संशोधन या बदलाव किया जाएगा।
मेवालाल पर हैं ये आरोप
तारापुर से निर्वाचित जेडीयू विधायक डॉ मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है। राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वह भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए। इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए। लेकिन, चुनाव जीतने के बाद डॉ चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित किए गए। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।