बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के केंद्रीय संगठन में कुछ और बदलाव किए जाने की संभावना है। पार्टी की दो महत्वपूर्ण समितियों केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में युवाओं को नए और युवा नेताओं को मौका दिया जा सकता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी बड़े बदलाव किए जाने की संभावना है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछले दिनों राष्ट्रीय पदाधिकारियों की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। इनमें 50 फीसद से ज्यादा नए और युवा चेहरों को मौका देकर उन्होंने संगठन की नई पीढ़ी की शुरुआत की थी। इस बीच बिहार विधानसभा चुनाव आ जाने से संगठन की अन्य महत्वपूर्ण समितियों का गठन नहीं हो पाया था। अब चुनाव नतीजों के बाद केंद्रीय संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया जाना है।
चुनाव नतीजों पर नजर
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व की नजर बिहार और देश भर में हो रहे उपचुनाव के नतीजों पर भी है। इनमें युवा पीढ़ी के रुझान को देखते हुए भी कई बातें तय की जाएगी कि पार्टी संगठन में युवा चेहरों को कितना आगे बढ़ाया जाए और अनुभवी बुजुर्ग नेताओं को कितना स्थान दिया जाए। हालांकि संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति ऐसी इकाइयां है जिनमें वरिष्ठ और अनुभवी चेहरे जगह पाते हैं, लेकिन नड्डा ने जिस तरह से अपनी टीम में युवा चेहरों को बढ़ावा दिया उससे आगे भी अहम बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
देश के हर हिस्से को जोड़ने की कोशिश
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन में काफी चेहरों को बदले जाने की संभावना है। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों से युवा और नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। भाजपा के राष्ट्रव्यापी व्यापक प्रसार के बाद पार्टी की पहुंच अधिकांश राज्यों में निचले स्तर तक हुई है। ऐसे में उसे इन राज्यों के नेताओं को भी राष्ट्रीय स्तर पर सामने लाना है।