उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हुए चुनाव में सोमवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी समेत सभी 10 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए। सोमवार को नामांकन वापसी की आखिरी तारीख थी। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 8, जबकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक-एक सीट पर जीत मिली है।
भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, पूर्व डीजीपी बृजलाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा जीते तो सपा से रामगोपाल यादव और बसपा से रामजीत गौतम उच्च सदन पहुंच गए हैं। निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए सदस्यों को सहायक निर्वाचन अधिकारी मोहम्मद मुशाहिद सईद ने उनके प्रमाण पत्र सौंपे। इन सभी का कार्यकाल 25 नवंबर 2020 से 24 नवंबर 2026 तक रहेगा।
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश कोटे से 31 सीटें हैं। इनमें अब सर्वाधिक 22 सीटें भारतीय जनता पार्टी की हो जाएंगी जबकि समाजवादी पार्टी के पास पांच और बसपा के खाते में तीन सीटें रहेंगी। कांग्रेस के पास अब उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की सिर्फ एक सीट रह जाएगी। पिछले हफ्ते नामांकन के अंतिम दिन राज्यसभा चुनाव अचानक रोचक हो गया था। समाजवादी पार्टी समर्थित निर्दल प्रत्याशी प्रकाश बजाज के आने से हलचल मच गई थी। इसी के बाद बसपा के सात विधायकों ने सपा के समर्थन में अपना रुख जाहिर कर दिया। हालांकि पर्चा जांच में प्रकाश का नामांकन खारिज होने से अन्य दस का निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया था।
राज्यसभा चुनाव बसपा व भाजपा के बीच करीबियां भी नजर आईं। जिस पर मायावती ने सोमवार को बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि वह राजनीति से सन्यास ले लेंगी लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन कभी नहीं करेंगी। मायावती ने कहा कि सपा सरकार में गुंडाराज से लोग त्रस्त थे। 1995 में सभी दलों ने कहा कि वह सपा से बाहर आ जाएं तो सब समर्थन करेंगे। तब भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई पर, विचारधारा व मूवमेंट से समझौता नहीं किया। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि वे गुमराह न हों। यूपी व मध्य प्रदेश के उपचुनाव के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशियों को मतदान करें।