15 साल से सत्ता में काबिज जदयू और नीतीश कुमार के लिए बिहार चुनाव का दूसरा चरण सबसे अहम !

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बिहार की सत्ता में 15 साल से काबिज जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण सबसे अहमपिछले 15 साल से काबिज जनता दल यूनाईटेड (जदयू) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण सबसे अहम है। 3 नवम्बर को होने वाले मतदान का यह चरण जदयू के लिए एनडीए गठबंधन के तहत सबसे अधिक उम्मीदवार उतारने और अच्छी-खासी संख्या में अपने पास की सीटिंग सीट बचाने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। जदयू के आला नेता भी इसे स्वीकारते हैं। 

प्रदेश जदयू अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि पहले चरण में बिहार के मतदाताओं के रुख से हम उत्साहित हैं। दूसरा चरण हमारे लिए स्वाभाविक रूप से मजबूती लेकर आएगा। राष्ट्रीय सचिव रवीन्द्र सिंह ने कहा कि जदयू को दूसरे चरण से उम्मीद अधिक है। गौर हो कि एनडीए गठबंधन के तहत जदयू को 115 सीटें मिली हैं। पहले चरण में जदयू के 35 प्रत्याशी मैदान में थे। वहीं दूसरे चरण में दल ने सबसे अधिक 43 उम्मीदवार उतारे हैं। शेष 37 प्रत्याशी तीसरे चरण में उतरे हैं। इनमें कई पुराने दिग्गज नेताओं की अगली पीढ़ी मैदान में है तो बड़ी संख्या में नए लड़ाकों पर जदयू ने दांव लगाया है। 

सीटिंग सीट बचाने की बड़ी चुनौती 
2015 के चुनाव में जदयू राजद के साथ महागठबंधन था और उसने वैसी 30 सीटों पर जीत पायी थी, जिनपर दूसरे चरण के तहत 3 नवम्बर को वोटिंग होनी है। जदयू के लिए इन सीटिंग सीटों को बचाना और शेष सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। इस दल की सीटिंग सीटों में शिवहर, बेलसंड, फुलपरास, कुशेश्वरस्थान, बेनीपुर, हायाघाट, कुचायकोट, हथुआ, जीरादेई, बरहरिया, महाराजगंज, एकमा, वैशाली, महनार, विभूतिपुर, हसनपुर, चेरियाबरियारपुर, तेघड़ा, मटिहानी, नाथनगर, अस्थावां, राजगीर, इस्लामपुर, नालंदा, हरनौत और फुलवारीशरील शामिल हैं। 

19 नए प्रत्याशी को जदयू ने मैदान में उतारा 
दूसरे चरण में जदयू के दो मंत्रियों की किस्मत का फैसला होना है। नालंदा सीट से श्रवण कुमार जबकि हथुआ से रामसेवक सिंह मैदान में हैं। इसके अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के पुत्र फराज फातमी, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर भी मैदान में हैं। जदयू ने दूसरे चरण की अपनी 43 सीटों में से 19 पर नए प्रत्याशी उतारकर एक बड़ा दांव खेला है। इनमें केसरिया से पूर्व सांसद कमला मिश्र मधुकर की पुत्री शालिनी मिश्रा, रून्नीसैदपुर से पंकज मिश्रा, फुलपरास से शीला मंडल, बेनीपुर से अजय चौधरी, मीनापुर से मनोज कुमार, कांटी से मो. जमाल, भोरे से सुनील कुमार, जीरादेई से कमला कुशवाहा, रघुनाथपुर से राजेश्वर चौहान, एकमा से धूमल सिंह की पत्नी सीता देवी, मांझी से माधवी सिंह, मढ़ौरा से अफ्ताफ राजू, वैशाली से सिद्धार्थ पटेल, राजापाकड़ से महेन्द्र राम, साहेबपुर कमाल से शशिकांत कुमार, अलौली से साधना सदा, परबत्ता से डा. संजीव कुमार सिंह, राजगीर से कौशल किशोर और हिलसा से कृष्ण मुरारी शरण पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। 

कई बागी भी मैदान में
दूसरे चरण में जदयू के कई बागी भी मैदान में हैं। इनमें बैकुंठपुर से पूर्व विधायक मंजीत सिंह और तरैया से शैलेन्द्र प्रताप प्रमुख हैं। ये दोनों ही सीट भाजपा के कोटे में गई है जिससे जदयू के दोनों ही नेता निर्दलीय मैदान में कूद पड़े हैं।

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