गुजरात के वडोदरा स्थित एक अस्पताल ने बुधवार को बताया कि उसने कोविड-19 से पीड़ित एक मरीज का स्पर्म सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है। यह मरीज लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं और उनके बचने की संभावना कम ही है। दरअसल इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने मरीज का स्पर्म एकत्रित किये जाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के बाद अस्पताल को ऐसा करने का निर्देश दिया था। यह याचिका मरीज की पत्नी ने अदालत में दायर की थी। Sterling Hospitals में भर्ती मरीज को लेकर अस्पताल के क्षेत्रिय निदेशक अनिल नाम्बियार ने मीडिया को बताया कि कोर्ट का आदेश मिलने के तुरंत बाद मंगलवार की रात चिकित्सकों की एक टीम ने सफलतापूर्वक मरीज के स्पर्म के नमूने को एकत्र कर लिया है।
अनिल नाम्बियार ने बताया कि ‘मरीज का परिवार चाहता था कि मरीज के स्पर्म का नमूना लिया जाए। लेकिन इसके लिए मरीज का होश में आना जरुरी था। लेकिन अभी वो अस्पताल के बिस्तर पर होश में नहीं है लिहाजा हम इस काम को सिर्फ अदालत के आदेश के बाद ही अंजाम दे सकते थे। इस पूरी प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा आधे घंटे का वक्त लगता है। अदालत के आदेश के बाद हमने नमूने एकत्र कर लिये है और उसे सुरक्षित कर लिया है। अदालती आदेश मिलने के बाद आईवीएफ की प्रक्रिया आगे की जाएगी।’
इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा स्थित अस्पताल को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित एक व्यक्ति के नमूने ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) प्रक्रिया के लिए एकत्र करने का निर्देश दिया था। जानकारी के मुताबिक मरीज की जान बचने की उम्मीद बेहद कम है और उसकी पत्नी उसके बच्चे की मां बनना चाहती थी और उन्होंने ही प्रेम निशानी की मांग की थी।
अदालत ने इसे एक ”असाधारण स्थिति मानते हुए मंगलवार को मामले में आदेश सुनाया था। मरीज की पत्नी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जे. शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एआरटी) प्रक्रिया के लिए मरीज के नमूने एकत्र करने और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया था।
मरीज की पत्नी के वकील निलय पटेल ने कहा था कि ‘याचिकाकर्ता आईवीएफ/एआरटी प्रक्रिया के जरिए उसके बच्चे की मां बनना चाहती हैं, लेकिन अस्पताल इसकी अनुमति नहीं दे रहा, इसलिए उसे अदालत का रुख करना पड़ा।’ पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित उसके पति के कई अंगों ने काम करना बंद दिया है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है। चिकित्सकों के अनुसार, मरीज के जीवित बचने की बहुत कम उम्मीद है।
अदालत ने याचिकाकर्ता और संवाद के लिए मौजूद सहायक सरकारी वकील को अस्पताल को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया था कि मरीज की नाजुक हालत देखते हुए उसके नमूनों को एकत्रित किया जाए।