हरियाणा में सरपंचों पर लाठीचार्ज से गरमाई राजनीति, विपक्ष का खट्टर सरकार पर हमला

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ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल के विरोध में पंचकूला में आंदोलन कर रहे सरपंचों पर लाठीचार्ज को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्षी दलों ने सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस, इनेलो और आम आदमी पार्टी ने पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए खट्टर सरकार पर हमला बोला है।

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रजातंत्र में लाठी और गोली के जोर पर सरकार नहीं चला करती। ई-टेंडरिंग को खारिज कर चुनी हुई पंचायतों को अधिकार दिया जाना चाहिए। लाठीचार्ज करना बहुत निंदनीय है। इससे पहले भी हरियाणा सरकार किसान, बेरोजगार युवाओं और किसानों पर लाठीचार्ज कर चुकी है। 

वहीं, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने लाठीचार्ज को तानाशाही करार दिया है। सरपंचों को जानवरों की तरह पीटना साबित करता है कि सरकार सरपंचों को कितना मान करती है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अपने हकों के लिए उठी हर आवाज को प्रदेश सरकार लाठीचार्ज से दबाना चाहती है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पवन जैन ने भी लाठीचार्ज की निंदा की है। जैन ने कहा कि हरियाणा सरकार बातचीत में नहीं, बल्कि लाठीचार्ज में यकीन करती है।

इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी गांवों की आन-बान और शान सरपंचों पर लाठीचार्ज की निंदा की है। चौटाला ने कहा कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है। किसानों, बेरोजगार युवाओं, कर्मचारियों के बाद अब सरपंचों पर लाठीचार्ज किया है। प्रदेश की जनता गठबंधन सरकार को जल्द से जल्द रुखसत करना चाहती है।

सरपंच क्यों अड़े
ई-टेंडरिंग और राइट टू रिकॉल का सरपंच विरोध कर रहे हैं। सरकार इन दोनों को लागू करने पर अड़ी है। अब इस मामले में न तो सरपंच पीछे हटना चाह रहे हैं न ही सरकार। बातचीत विफल हो चुकी है। सरपंच 25 लाख तक की पावर मैनुअल चाहते हैं लेकिन सरकार ने दो लाख की सीमा तय की है। पेंच यहीं फंसा है।

सूरत-ए-हाल
सरकार के अधिकारियों ने सरपंचों से बात की थी। उस समय सरपंचो ने दो लाख की राशि को पांच से 10 लाख करने का बीच का रास्ता बताया था लेकिन बीच के रास्ते पर भी बात नहीं बनी। अब सरकार के लिए ई-टेंडरिंग लागू करना मुश्किल हो रहा है। गांव के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अभी तक 57 फीसदी पंचायतों ने काम के प्रस्ताव दिए हैं। 43 फीसदी पंचायतें अभी भी अड़ी हैं।

असर
दो साल पहले पंचायातें में चुनाव नहीं हुए। इससे गांव का विकास प्रभावित हुआ। अब तीन माह से नई पंचायतें आई हैं लेकिन गांव में विकास नहीं हो पा रहा है। सारा मामला आंदोलन के बीच फंस गया है। पंचायत मंत्री और सरकार दोनों ही अपनी बात पर अड़े हैं।

विशेष रिपोर्ट-
अजय क्रांतिकारी
‘पॉलिटिकल एडिटर’ -ELE India News

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