स्मृति शेष- पलके झपकाई और अंधेरा छा गया
कभी-कभी जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है। जिस पर यकीन करना असंभव सा लगता है। सख्त मन तो स्वीकार कर लेता है परंतु नरम दिल कमजोर पड जाता है।
3 जून रात्रि 1:00 बजे भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ। जिसे सुन आंखें नम हो गई और दिल दहल उठा।
हमारे पूज्य गुरुदेव मोहनखेड़ा महातीर्थ विकास प्रेरक परम पूज्य गच्छाधिपति ज्योतिष सम्राट आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. का आकस्मिक देवलोक गमन एक ऐसी अपूरणीय क्षति है जिसकी कल्पना कभी सपने में भी नहीं की थी।
हे गुरुदेव! आपके जाने से पूरा संघ स्तब्ध हो गया। मानो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आंखे झपकाई और अंधेरा छा गया। आपकी पूर्ति की कल्पना भी असंभव है।
गुरुदेव आपका यू चले जाना किसी आघात से कम नहीं है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आप अभी भी मोहनखेड़ा में विराजित है। विश्वास तो आज भी नहीं हो रहा है कि गुरुदेव आप हमे छोड़कर अनंत यात्रा की ओर चल दिए हैं।
परम पूज्य गुरुदेव ने जिन शासन की चारों दिशाओं में खूब यश कीर्ति प्रसारित करी और अपने 41 वर्ष के दिक्षा पर्याय मैं अनगिनत आयोजन करवाई।
मानवसेवा, जीवदया को गुरुदेव ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
मेरी परमात्मा व गुरुदेव से तहे दिल से यही प्रार्थना है कि आप हमारे पूज्य गुरुदेव को मोक्ष प्रदान करें…
मन – वचन – काया के अंतर्मन से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए बारंबार वंदन करती हूं।
सुहानी आंचलिया जावरा, रतलाम (म. प्र.)