सेंट्रल विस्टा : संसद भवन तो अगले 75 साल तक चलेगा ! वित्त आयोग ने फिजूलखर्ची रोकने को कहा !

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सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर विपक्षी दल, केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी को अपने उस गुलाबी चश्मे को उतारना चाहिए, जिससे ‘सेंट्रल विस्टा’ परियोजना के अलावा कुछ और नहीं दिखाई देता।

इसके बाद दूसरे विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया। 12 विपक्षी दल के नेताओं ने जिन मुद्दों को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, उसमें सेंट्रल विस्टा का जिक्र है। इन नेताओं ने लिखा है कि कोरोनाकाल में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को बंद किया जाए। इसके लिए स्वीकृत राशि को ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, आईसीयू बेड और वैक्सीन खरीदने पर खर्च किया जाए।

एआईडीईएफ के महासचिव सी श्रीकुमार कहते हैं, संसद भवन तो अगले 75 साल भी चलेगा। देश में शवों की कतार लगी है और केंद्र को सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट दिखाई दे रहा है। जो कर्मी फ्रंट लाइन वर्कर बनकर कोरोना से जंग कर रहे हैं, उनका महंगाई भत्ता बंद कर दिया गया है।

दूसरी तरफ, 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अध्याय चार में, शीर्षक ‘महामारी का दौर: भावी विश्लेषण (2021 से 2026) में लिखा है, केंद्र एवं राज्य अपने व्यय का पुन: प्राथमिकीकरण करें। सार्वजनिक खर्च में फिजूलखर्ची और अनावश्यक खर्च को समाप्त करना होगा।

रिपोर्ट में लिखा है, पूर्व वित्त आयोगों के दृष्टिकोण की निरंतरता में, हमने मितव्ययिता के समय में राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मानकीय ‘नॉर्मेटिव’ सिद्धांतों को अपनाया है। बढ़ते व्यय की तुलना में राजस्व में पर्याप्त वृद्धि नहीं हुई है। कर जीडीपी अनुपात का क्षरण और कोविड 19 महामारी की शुरुआत से ही पहले गैर कर राजस्वों के स्तर में आभासी गतिरोध के कारण हमारे लिए यह अत्यावश्यक हो गया है कि हम अपने अनुमान में संघ तथा राज्यों, दोनों द्वारा खर्च किए जाने वाले व्यय का पुन: प्राथमिकीकरण करें।

स्थापना संबंधी खर्चों में मिव्ययिता सुनिश्चित करने और उचित कार्यनीतियों के माध्यम से सब्सिडी दिए जाने एवं सार्वजनिक खर्च में फिजूलखर्ची एवं अनावश्यक खर्च को समाप्त करने के उद्देश्य से हमने व्यय आवश्यकताओं का आकलन किया है। रिपोर्ट में लिखा है कि पूर्वानुमानों पर हाल ही में घटित कोविड 19 की घटना का प्रभाव पड़ा है। यह प्रभाव मानव, अर्थव्यवस्था और राजकोषीय व्यवस्था पर भी देखने को मिला है। 

सभी स्तरों पर सरकारों को कर आधार और राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है। जन स्वास्थ्य प्रबंधन, आय संपूर्ति तथा अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए खर्च बढ़ाने की अतिरिक्त महत्वपूर्ण आवश्यकताएं उभर कर आई हैं। अत: यह जरूरी है कि व्यय का पुन: प्राथमिकीकरण किया जाए। खर्च में जवाबदेही सुनिश्चित हो। प्रशासनिक और नीतिगत सुधारों के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए आधार खड़ा किया जाए।

सेंट्रल विस्टा के मुद्दे पर राहुल गांधी ने कई ट्वीट किए हैं। वह इस प्रोजेक्ट को आपराधिक बर्बादी बता चुके हैं। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग से जुड़ी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई थी। सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण का बचाव किया था। 

केंद्र ने कहा कि मजदूर इस काम में कोरोना कर्फ्यू से पहले ही जुट गए थे। निर्माण कार्य में लगे सभी मजदूरों का हेल्थ इंश्योरेंस है। निर्माण साइट पर उनके रहने आदि की तमाम कोरोना बचाव संबंधी सुविधाएं मौजूद हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसी ही एक याचिका दायर की गई थी। सर्वोच्च अदालत ने फिलहाल इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था।

एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि केंद्र सरकार ने संसद भवन को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। देश में अस्पताल और वैक्सीन की भारी कमी सरकार को नहीं दिख रही, लेकिन उसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट नजर आता है। देश में जरुरी दवाओं और ऑक्सीजन की कालाबाजारी हो रही है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीमीटर जो पांच सौ रुपये से लेकर सात सौ रुपये में आता है, वह तीन हजार रुपये का बिक रहा है।

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