सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों और सभी राज्यों के हाईकोर्ट्स के लिए निर्देश जारी किए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वकील हड़ताल पर नहीं जा सकते या काम से बच भी नहीं सकते। कोर्ट ने सभी राज्यों के हाईकोर्ट्स को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समिति के गठन का निर्देश दिया है, जहां अधिवक्ता (वकील) असल समस्याओं के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने कहा कि जिला अदालत स्तर पर भी एक अलग शिकायत निवारण समितियों का गठन किया जाना चाहिए। वकील यहां भी वास्तविक शिकायतों के मामलों को दर्ज कर सकते हैं। पीठ ने दोहराते हुए कहा कि बार का कोई भी सदस्य हड़ताल पर नहीं जा सकता है। अदालत का कहना है कि वकीलों के हड़ताल के कारण न्यायिक कार्य बाधित होता है।
इसलिए बनाई जाएगी समिति
जस्टिस शाह ने कहा कि बार के सदस्यों को अगर असल में कोई शिकायत है, मामला दर्ज करने और सूचीबद्ध करने में परिवर्तन के कारण अगर कोई दिक्कत आ रही है, या निचली न्यायपालिका के सदस्यों के दुर्व्यवहार से संबंधित अगर कोई वास्तविक शिकायतें हैं, तो समितियों की मदद ली जा सकती है। इससे हड़तालों से बचा जा सकेगा। अदालत ने बताया कि फोरम एक स्थान होगा, जहां बार सदस्य अपनी शिकायतें साझा कर सकते हैं।
ऐसी होगी समिति की संरचना
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी उच्च न्यायालय एक शिकायत निवारण समिति का गठन करें। समिति की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश करेंगे। समिति में दो अन्य वरिष्ठ जस्टिस भी शामिल होंगे। इनमें से एक जस्टिस न्यायिक सेवाओं से हों और दूसरे जस्टिस बार से हों। दोनों न्यायाधीशों को मुख्य न्यायाधीश, एडवोकेट जनरल, राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष और उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नामित करेंगे। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट भी जिला अदालतों के स्तर पर इस तरह की समिति का गठन कर सकते हैं।
असल शिकायतों पर ही होगी सुनवाई
शिकायत निवारण समिति अपने राज्यों की जिला अदालतों और हाई कोर्ट में वकीलों के मतभेद और असंतोष की असल शिकायतों पर विचार करेगी। निचली न्यायपालिका के किसी भी सदस्य के दुर्व्यवहार के खिलाफ भी शिकायत की जा सकती है, लेकिन वह वास्तविक हो, किसी न्यायिक अधिकारी पर इससे दबाव न पड़े।
विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News