“सदन में 10 फीसदी सदस्य वाले दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष (LoP) का दर्जा देने की परंपरा”- सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट में सपा विधायक लाल बिहारी यादव की याचिका पर उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने जवाब दाखिल किया है। विधान परिषद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नेता प्रतिपक्ष का दर्जा उसी दल के नेता को देने दी दशकों पुरानी परंपरा है जिसके सदन की कुल क्षमता के 10 फीसदी सदस्य हों। याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने शीर्ष अदालत से इस परंपरा में हस्तक्षेप नहीं करने का अनुरोध किया।

शीर्ष अदालत सपा विधायक लाल बिहारी यादव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अपनी याचिका में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। दरअसल, उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने सात जुलाई, 2022 को अधिसूचना जारी कर लाल बिहारी यादव से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा वापस ले लिया था। इसे लेकर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधान परिषद का फैसला बरकरार रखा था। इसके बाद वे शीर्ष अदालत पहुंचे थे। लाल बिहारी की याचिका पर 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि विधायिका के सदन में नेता प्रतिपक्ष का होना जरूरी है और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चेयरमैन के कार्यालय से इस पर जवाब मांगा था।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने दिया जवाब
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष विधान परिषद के चेयरमैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथ ने कहा कि अदालत को विपक्ष के नेता की नियुक्ति के लिए सदन की ओर से निर्धारित प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।

विश्वनाथन ने कहा, कुछ अपवादों को छोड़कर इस परंपरा का वर्षों से पालन किया जा रहा है। सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ही विपक्ष के नेता का दर्ज दिया जाता है, अगर वह दल 10 प्रतिशत सदस्यों के कोरम को पूरा करता है। परिषद ने समाजवादी पार्टी के एमएलसी लाल बिहारी यादव की याचिका पर दायर अपने जवाब में यह बात कही है।

सपा नेता के दावे पर अदालत ने की थी टिप्पणी
यादव ने इस दावे पर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष के रूप में नामित किया जाता है, शीर्ष अदालत ने कहा था, हमें यह देखना है कि क्या कानून के तहत कोई पाबंदी लगाई गई है कि विपक्ष का नेता उस पार्टी से होगा जिसके पास एक निश्चित संख्या में सीटें होंगी। विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 100 है जिनमें से 10 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है।

विशेष रिपोर्ट-

अजय क्रांतिकारी
‘पॉलिटिकल एडिटर’ -ELE India News

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