‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान काम के दबाव से निजी जिंदगी पर असर !

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कोविड-19 महामारी की वजह से घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) एक नई सामान्य स्थिति बन गई है। ऐसे में एक सर्वे में 59 प्रतिशत पुरुष कर्मचारियों ने कहा है कि कार्य संबंधी दबाव से उनकी निजी जिंदगी प्रभावित हो रही है। जॉब साइट स्कीकी मार्केट नेटवर्क के एक सर्वे के अनुसार महामारी जारी है और अब इसकी तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है, ऐसे में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

सर्वे में शामिल 59 प्रतिशत पुरुष कर्मियों ने कहा कि काम के दबाव की वजह से उनकी निजी जिंदगी प्रभावित हो रही है। ऐसा कहने वाली महिलाओं की संख्या 56 प्रतिशत थी। सर्वे के अनुसार घर से काम के बीच कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है और उन्हें नौकरी में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य और निजी जीवन प्रभावित हो रहा है। 
     
स्कीकी मार्केट नेटवर्क ने देश के महानगरों में 20 से 26 जून के दौरान 2,500 भागीदारों के बीच यह सर्वे किया है। सर्वे में शामिल सिर्फ 23 प्रतिशत पुरुषों ने कार्यस्थल के माहौल के बारे में कहा कि वे अपने निरीक्षक पर भरोसा कर सकते हैं। सर्वे में शामिल 20 प्रतिशत पुरुषों का मानना था कि उन्हें कार्यस्थल पर समर्थन नहीं मिलता। ऐसा सोचने वाली महिलाओं की संख्या 16 प्रतिशत थी। सर्वे में 68 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि कार्य के घंटों के दौरान कई बार मन विचलित होता है। वहीं 77 प्रतिशत महिलाओं ने यही बात कही। इस दौरान रोजगार के नुकसान का भी लोगों पर भी दबाव बढ़ा है। रोजगार जाने की चिंता का भी दबाव बढ़ा है। 
     
सर्वेक्षण के मुताबिक 22 प्रतिशत पुरुषों पर रोजगार नुकसान से प्रभाव पड़ा है जबकि 60 प्रतिशत अपने भविष्य को लेकर चिंतित दिखे। वहीं दूसरी तरफ केवल 17 प्रतिशत महिलाएं ही रोजगार छूट जाने की वजह से प्रभावित दिखीं और 27 प्रतिशत ही भविष्य को लेकर चिंतित थी। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि काम के बोझ की यदि बात की जाये तो केवल 30 प्रतिशत ने ही इसे मुद्दा बताया है वहीं 25 प्रतिशत ने कहा कि काम को लेकर उम्मीदें उनकी क्षमता से कहीं ज्यादा हैं। 
 

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