‘वन रैंक वन पेंशन’ मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- “रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता”

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सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख पूर्व सैनिकों की बकाया पेंशन का भुगतान चार किश्तों में करने के रक्षा मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर तल्ख टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। रक्षा सचिव 20 जनवरी को जारी किया नोटिफिकेशन तत्काल वापस लें।

दरअसल SC ने 9 जनवरी को वन रैंक वन पेंशन का कुल बकाया चुकाने के लिए केंद्र को 15 मार्च तक का समय दिया था। लेकिन 20 जनवरी को मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी की कि बकाया भुगतान चार किश्तों में किया जाएगा।

इसके बाद भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन (IESM) ने एक याचिका लगाई जिसमें रक्षा मंत्रालय के नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई थी।

रक्षा मंत्रालय ने क्यों चुना किश्तों में भुगतान का तरीका

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक जुलाई 2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को मिलाकर लाभार्थियों की संख्या 25 लाख पार हो चुकी है। इससे सरकार पर 8,450 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार पड़ेगा। संशोधन के बाद पेंशन योजना को जुलाई 2019 से जून 2022 तक का एरियर या बकाया भी दिया जाएगा। यानी कुल 23,638.07 करोड़ रुपए दिया जाएगा।

अगर सरकार 15 मार्च तक भुगतान नहीं कर पाती है तो बकाया राशि पर 9% की दर से ब्याज लगाया जाएगा। इसलिए केंद्र ने कोर्ट से इस समय सीमा को बढ़ाने के लिए आवेदन दिया था।

केंद्र ने कहा- हम एक किश्त जारी कर चुके

इधर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने पूर्व सैनिकों को OROP बकाया की एक किश्त का भुगतान कर दिया है, लेकिन बकाया भुगतान को पूरा करने के लिए कुछ और समय चाहिए। इस पर CJI ने दोबारा कहा- पहले OROP बकाया के भुगतान पर अपना 20 जनवरी का पत्र वापस लें, फिर हम आपके आवेदन पर और समय के लिए विचार करेंगे।

पढ़ें कोर्ट में क्या दलील दी गई

  • CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सरकार की ओर से दलील रख रहे AG आर वेंकटरमणी से पूछा- आप इसका भुगतान कब करेंगे? आखिर यह पेंशन है। जब से केस शुरु हुआ है तब से लेकर अब तक 4 लाख पेंशनरों की मौत हो चुकी है।
  • CJI बोले- अटॉर्नी जनरल सोमवार तक एक नोट तैयार करके बताएं कि कितना भुगतान बचा है, उसका तरीका क्या है और प्रायोरिटी क्या होगी। हम चाहते हैं कि इसे कैटेगरी में भुगतान करें 75 साल की उम्र पार कर चुके बुजुर्गों को पहले बकाया भुगतान किया जाए। इसके बाद विधवाओं को।
  • इस पर AG आर वेंकटरमणी ने जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच से कहा कि 31 मार्च से पहले पहली किश्त जारी कर दी जाएगी।
  • सीनियर एडवोकेट हुजैफा अहमदी ने कहा कि एक्सटेंशन के लिए 4 बार आवेदन करने के बाद भी वे और ज्यादा एक्सटेंशन चाहते हैं। यह गलत है। उनके पास बाकी चीजों के लिए पर्याप्त पैसा है लेकिन पेंशनरों को देने लिए उनके पास पैसा नहीं है।

क्या है वन रैंक वन पेंशन

वन रैंक वन पेंशन (OROP) का मतलब समान रैंक और समान अवधि की सेवा के लिए समान पेंशन है। इसमें सेवानिवृत्ति की तारीख के कोई मायने नहीं रह जाते। यानी अगर किसी अधिकारी ने 1985 से 2000 तक 15 साल सशस्त्र बलों में सेवा दी और एक अन्य अफसर 1995 से 2010 तक सेवा में रहे, तो दोनों को समान पेंशन मिलेगी। इससे 25 लाख पूर्व सैनिकों को फायदा होगा।

विशेष रिपोर्ट-
दिनेश कुमार जैन
‘नेशनल कॉरस्पॉडेंट’ -ELE India News

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