राहुल गाँधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, जब-जब देश हुआ भावुक, गायब हुईं फाइलें

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पूर्वी लद्दाख में चीन की ‘घुसपैठ’ का उल्लेख करने वाली रिपोर्ट को रक्षा मंत्रालय द्वारा अपनी वेबसाइट से हटाए जाने को लेकर राहुल गांधी ने शनिवार (8 अगस्त) को मोदी सरकार पर हमला बोला है। इसके साथ ही उन्होंने इसे केंद्र का लोकतंत्र विरोधी प्रयोग बताया। राहुल ने इस ओर भी इशारा किया है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले माल्या और राफेल से जुड़े मामलों में भी फाइलें गायब हुईं हैं।    

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “जब जब देश भावुक हुआ, फ़ाइलें ग़ायब हुईं। माल्या हो या राफ़ेल, मोदी या चोक्सी… गुमशुदा लिस्ट में लेटेस्ट हैं चीनी अतिक्रमण वाले दस्तावेज़। ये संयोग नहीं, मोदी सरकार का लोकतंत्र-विरोधी प्रयोग है।” https://twitter.com/RahulGandhi/status/1292059398185955328?s=20

पहले भी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि वेबसाइट से दस्तावेज हटाने से तथ्य नहीं बदलने वाले हैं। उन्होंने बीते गुरुवार को ट्वीट किया था, ”चीन के खिलाफ खड़े होना तो छोड़िए, भारत के प्रधानमंत्री में उसका नाम लेने में भी साहस की कमी दिखी। वेबसाइट से दस्तावेज हटाने से तथ्य नहीं बदलने वाले हैं।”

कांग्रेस ने भी साधा था निशाना
इससे पहले कांग्रेस ने भी बीते 6 अगस्त को सरकार से सवाल किया था कि रक्षा मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख में चीन की ‘घुसपैठ का उल्लेख करने वाली रिपोर्ट अपनी वेबसाइट से क्यों हटाई है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा था कि भारत की सीमा में घुसपैठ नहीं हुई और हमारी किसी चौकी पर कब्जा नहीं हुआ है, लेकिन रक्षा मंत्रालय अपनी रिपोर्ट में कहता है कि चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की है तथा यह गतिरोध लंबे समय तक चलने वाला है। उन्होंने सवाल किया, ”रिपोर्ट वेबसाइट से क्यों हटाई गई? हम जानने चाहते हैं कि सच्चाई क्या है?” माकन ने कहा, ”सरकार बताए कि वह चीन के साथ कैसे निपटेगी और वास्तविक स्थिति क्या है। देश की जनता को यह जानने का हक है।”

क्या है मामला
दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड उस दस्तावेज को बृहस्पतिवार (6 अगस्त) को हटा लिया जिस पर आधारित एक खबर अखबार में प्रकाशित हुई। खबर के मुताबिक, जून महीने की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सैनिकों की ‘एकतरफा आक्रामकता’ से पैदा हुए हालात संवेदनशील बने हुए हैं तथा यह गतिरोध लंबा चल सकता है।

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