राज्यपालों की नियुक्ति कैसे की जाती है, कितनी होती है ताकत और क्यों होती है अक्सर विवादास्पद भूमिका?

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केंद्र सरकार ने 12 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में नए राज्यपाल की नियुक्ति की है। 39 दिन पहले रिटायर हुए जस्टिस अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। उनकी नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी राज्यपाल की नियुक्ति को लेकर सवाल उठा हो। राज्यपाल को कई तरह की शक्तियां मिलती हैं। आखिर इनकी नियुक्त कैसे होती है और उन्हें क्या सुविधाएं मिलती है?

राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?

संविधान के अनुच्छेद 153 में राज्यपाल की नियुक्त के बारे में बताया गया है। इसके मुताबिक “प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा।” संविधान के लागू होने के कुछ वर्षों बाद 1956 में एक संशोधन किया गया जिसके मुताबिक एक व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अनुच्छेद 155 कहता है कि “राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा अपने हस्ताक्षर और मुहर के तहत वारंट द्वारा नियुक्त किया जाएगा”। राज्यपाल का सामान्य कार्यकाल 5 वर्ष का होगा। अगर राष्ट्रपति 5 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले भी चाहें तो राज्यपाल को पद छोड़ना पड़ता है। चूंकि राष्ट्रपति प्रधान मंत्री और केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करता है, इसलिए राज्यपाल को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त और हटाया जाता है।

क्या होती है योग्यता

राज्यपाल की नियुक्ति के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए इसके बारे में अनुच्छेद 157 और 158 में शर्तों को निर्धारित किया गया है। राज्यपाल को भारत का नागरिक होना चाहिए और 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए। राज्यपाल को संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए और किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।

किस राज्य में किसे मिली राज्यपाल पद की जिम्मेदारी

(1) (रिटायर)लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक अरुणाचल प्रदेश के नए राज्यपाल बनाए गए।

(2) लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया।

(3) सीपी राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया।

(4) शिव प्रताप शुक्ल हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त किए गए।

(5) गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया।

(6) जस्टिस (सेवानिवृत्त) एस अब्दुल नज़ीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बनाए गए।

(7) आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(8) छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(9) मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन को नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(10) बिहार के राज्यपाल श्री फागू चौहान को मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(11) हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(12) झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

(13) ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा (रिटायर), अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को लद्दाख का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया।

राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच क्या संबंध है?

सामान्य तौर पर देखें तो राज्यपाल की परिकल्पना एक राजनीतिक प्रमुख के रूप में की गई है जिसे राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना चाहिए। हालांकि, राज्यपाल को संविधान के तहत कुछ शक्तियाँ प्राप्त हैं – जैसे राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को सहमति देना या रोकना, किसी पार्टी को राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक समय का निर्धारण करना या, चुनाव में त्रिशंकु जनादेश जैसे मामलों में, किस पार्टी को अपना बहुमत साबित करने के लिए पहले बुलाया जाना चाहिए। राज्यपाल की इस स्थिति को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

ऐसी स्थिति होने पर कई बार राज्यपाल पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लग चुका है। दरअसल संविधान में इस बात के लिए कोई प्रावधान नहीं है कि राय में अंतर होने पर राज्यपाल और राज्य को कैसे काम करना चाहिए। राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच कई बात तीखे आरोप भी लगाए जाते रहे हैं। वर्तमान राज्य सभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़, आर एन रवि और आरिफ मोहम्मद खान जैसे राज्यपालों पर भी ऐसे आरोप लग चुके हैं।

विशेष रिपोर्ट-

अजय क्रांतिकारी
‘पॉलिटिकल एडिटर’ -ELE India News

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