सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सत्तारूढ़ पार्टियों को अपने राजनीतिक विरोधियों के ज्ञान को खत्म करने के लिए राज्य मशीनरी के इस्तेमाल की अनुमति देकर देश लोकतंत्र को खोने का जोखिम नहीं उठा सकता है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को तमिलनाडु में द्रमुक और अन्नाद्रमुक सरकारों के बीच एक रोजगार योजना को लेकर चल रही खींचतान पर यह टिप्पणी की।
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें तमिलनाडु सरकार को ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता पदनाम के तहत पद बनाने का निर्देश दिया था। इस योजना को मक्कल नाला पनियालारगल (एमएनपी) के रूप में जाना जाता है।
तमिलनाडु सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से 2 सितंबर, 1989 को ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षित युवाओं को रोजगार देने वाली एक योजना शुरू की थी, जिन्होंने ग्राम पंचायत में काम के विभिन्न मदों के लिए 10 वीं कक्षा पूरी की थी। एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली डीएमके सरकार ने राज्य भर में 12,617 ग्राम पंचायतों में शिक्षित युवाओं को रोजगार देने के लिए ‘मक्कल नाला पनियारगल’ योजना शुरू की।
विशेष रिपोर्ट-
दिनेश कुमार जैन
‘नेशनल कॉरस्पॉडेंट’ -ELE India News