रंगों से ढंक जाएगा पूरा आसमान, इंदौर की गेर में आएंगे पांच लाख से ज्यादा लोग !

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12 मार्च को निकलेगी इंदौर की विश्वस्तर लोकप्रिय गेर, कोविड के तीन साल से दबे रंग इस बार दोगुने उत्साह से बिखरेंगे

दुनियाभर में पहचान बना चुकी इंदौरी की रंगारंग गेर इस बार दोगुने उत्साह के साथ निकलने वाली है। कोविड के तीन साल तक दबे रहे रंग इस बार आसमान को पूरी तरह से रंगीन करने के लिए बेकरार हैं। प्रशासन का अनुमान है कि इस बार गेर में पांच से छह लाख लोग आएंगे। इसी के चलते प्रशासन हर स्तर पर तैयारियां भी कर रहा है। गेर से शहर में उत्साह और उल्लास का माहौल एक बार फिर चरम पर होगा। 

यह संस्थाएं निकालेंगी गेर
रंगपंचमी पर टोरी कार्नर महोत्सव समिति, संगम कार्नर, मॉरल क्लब, रसिया कार्नर, राधाकृष्ण फाग यात्रा, श्री कृष्ण फाग यात्रा, संस्था संस्कार, बाणेश्वर समिति, माधव फाग यात्रा आदि द्वारा गेर/फाग यात्रा निकाली जाएगी। 

यह रहेगा मुख्य मार्ग
गेर अपने पंरपरागत मार्गों से निकाली जाएगी। मुख्य मार्ग गौराकुंड चौराहे से राजवाड़ा तक रहेगा। इसके अलावा अन्य संस्थाओं द्वारा भी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रंगारंग गेर निकाली जाएंगी। 

महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान
पुलिस आयुक्त हरिनारायण चारी मिश्र ने कहा कि गेर के दौरान सीसीटीवी और अन्य माध्यमों से निगरानी रखी जाएगी। यह प्रयास किए जाएंगे कि कोई भी व्यक्ति मदिरा या अन्य मादक पदार्थ पीकर गेर में शामिल नहीं हो। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोजन के दौरान किसी के भी साथ अभद्रता का व्यवहार नहीं हो। इंदौर की गौरवशाली परम्परा को पूरी तरह कायम रखा जाए। सभी संबंधित विभागों को बेरिकेटिंग, आकस्मिक चिकित्सा व्यवस्था, जल की उपलब्धता, मार्ग दुरस्तीकरण आदि की जवाबदारियां सौंपी गई हैं।

प्रमुख भवनों को कवर किया जाएगा
राजबाड़ा, गोपाल मंदिर सहित अन्य प्रमुख भवनों के सौंदर्यीकरण के संरक्षण के लिए उन्हें अच्छे से कवर किया जाएगा। विद्युत सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही खतरनाक भवनों को चिन्हित कर उन पर सूचना पटल लगाया जाएगा।

गेर में बैलगाडिय़ों पर रंग और फूल उड़ाते थे होलकर
माना जाता है कि इंदौर में गेर की परंपरा तीन सौ साल पुरानी है। होलकर राजघराने के लोग रंगपंचमी के दिन बैलगाडिय़ों से फूल और गुलाल आम नागरिकों पर डालते थे। इससे सामाजिक सौहाद्र्र बढ़ा और धीरे धीरे गेर ने पूरी तरह से सामाजिक रंग ले लिया। लगभग सौ साल पहले इसे सामाजिक रूप से सार्वजनिक जगहों पर मनाने की शुरुआत हुई। इस कड़ी में कई आयोजन जुड़ते गए। मल्हारगंज क्षेत्र में कुछ लोग खड़े हनुमान के मंदिर में फगुआ गाते थे और एक-दूसरे को रंग और गुलाल लगाते थे। वहीं इसी क्षेत्र में रहने वाले रंगू पहलवान एक बड़े से लोटे में केसरिया रंग घोलकर आने-जाने वालों पर रंग डालते थे। इन सब आयोजनों ने गेर को समय के साथ भव्य रूप दिया। 

यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के प्रयास तेजी
गेर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के प्रयास तेज हो गए हैं। प्रशासन की हालिया बैठक में इसके लिए रणनीति तैयार की गई। इस संबंध में पूर्ण दस्तावेजों के साथ पुख्ता प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगा। दस्तावेजी करण के लिए विभिन्न माध्यमों से दस्तावेज एकत्र किए जाएंगे। गेर को लेकर फोटोग्राफी प्रतियोगिता इंदौर टूरिज्म प्रमोशनल काउंसिल के माध्यम से आयोजित की जाएगी। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने जनता से भी कहा है कि जिनके पास भी गेर के संबंध में दस्तावेज हो, वे कलेक्टर कार्यालय में जमा करा सकतें है। उन्होंने कहा कि इस बार दस्तावेजी करण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फोटोग्राफ, वीडियो सहित अन्य दस्तावेजों का संग्रहण होगा।

विशेष रिपोर्ट-
प्रकाश बारोड़
‘सह-संस्थापक’ -ELE India News

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