कोरोना संक्रमण (Coronavirus In India) के बढ़ते क्रम के बीच बिहार और उत्तर प्रदेश में कई संदिग्ध शव, गंगा नदी में पाए गए. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार बीते दिनों में कम से कम 96 खराब और फूल चुके शव गंगा में पाए गए. माना जा रहा है कि अधिकतर लोगों के शव कोविड संक्रमितों के हैं. बिहार के बक्सर जिले में जहां 73 शव निकाले गए हैं, वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में कम से कम 25 शव मिले हैं.
बिहार सरकार ने मंगलवार को कहा कि बक्सर जिले में गंगा से अबतक कुल 71 शव निकाले गए हैं जिनके कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के शव होने की आशंका जताते हुए यह संभावना जतायी जा रही है कि संभवतः अंतिम संस्कार नहीं करके उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया गया होगा. जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने मंगलवार को अपने ट्वीट में बक्सर जिले में चैसा गांव के पास इन शवों के गंगा नदी में मिलने की चर्चा करते हुए कहा कि 4-5 दिन पुराने क्षत-विक्षत ये शव पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से बहकर बिहार आए हैं .
यूपी को दोष देना सही नहीं- प्रशांत कुमार
इस बीच बक्सर के अनुमंडल अधिकारी के के उपाध्याय ने बताया कि सीमा पर लगाए गए जाल के समीप उत्तरप्रदेश की ओर से मंगलवार को दो अन्य शव नदी में बहते हुए आए हैं जिनके अंतिम संस्कार का प्रबंध सीमा पर ही किया जा रहा है.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार बक्सर के एसपी नीरज कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमने अब तक गंगा से 71 शवों को निकाला है. हमने सभी का पोस्टमॉर्टम किया और डीएनए और कोविड के नमूने भी लिए हैं.’ उन्होंने कहा कि सरकार कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार शवों अंतिम संस्कार किया गया. उन्होंने कहा कि ‘पुलिस यह पता लगाने के लिए इलाके में जांच पड़ताल कर रही है कि क्या शव स्थानीय निवासियों का है. कुछ शव यूपी से भी आ सकते हैं. यह बिहार और यूपी पुलिस के लिए जांच का विषय है.’
नदी में लाशों के पाये जाने पर उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि यूपी पर आरोप लगाना गलत है. अखबार के मुताबिक कुमार ने कहा ‘लाशें बिहार में मिली हैं और यह बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उनकी जांच करे और आगे की कार्रवाई करे. यूपी को दोष देना सही नहीं है.’ ADG ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जल समाधि को रोकने के लिए पहले ही एक आदेश पारित किया है. उन्होंने कहा कि ‘इस आदेश का राज्य में कड़ाई से पालन किया जा रहा है.’
गाजीपुर में कम से कम 25 शव बरामद!
उधर गाजीपुर से मिली खबर के मुताबिक जिले के गहमर, बारा में गंगा नदी में भारी संख्या में शव देखे गये हैं. गाजीपुर जिले से होती हुई गंगा नदी बिहार में जहां जाकर मिलती है, वहां उत्तर प्रदेश के गहमर, बारा गांव हैं जबकि बिहार प्रदेश के चौसा प्रखंड के गांव में गंगा प्रवेश करती है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक चौसा घाट पर तीन दर्जन से अधिक शव गंगा में किनारे लग जाने के बाद बदबू फैलने लगे तो बक्सर के जिलाधिकारी के आदेश पर चौसा प्रखंड पदाधिकारी अपने दल बल सहित गाजीपुर के सेवराई तहसील मुख्यालय पर आ पहुंचे और इसके बाद गाजीपुर का प्रशासन भी हरकत में आ गया.
गाजीपुर में अधिकारियों ने कहा कि पिछले दो दिनों में कम से कम 25 अज्ञात शव गंगा में तैरते पाए गए. वाराणसी (रेंज) आईजी सुवेंद्र के भगत ने मंगलवार को कहा कि ‘वह सटीक संख्या नहीं बता सकते हैं, लेकिन कम से कम 25 शव बरामद किए गए हैं.’ भगत ने कहा कि हो सकता है कि यह उन समुदाय के लोगों के शव हों जहां अंतिम संस्कार में जल समाधि का रिवाज अपनाया जाता है.
बलिया में भी शव बरामद
गाजीपुर के साथ ही बलिया में शव पाए गए. बलिया की जिलाधिकारी अदिति सिंह ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा है कि नरही थाना क्षेत्र के बलिया-बक्सर पुल के नीचे गंगा नदी में सोमवार को कुछ पुराने अज्ञात क्षत-विक्षत शव देखे गए. उन्होंने कहा कि उपजिलाधिकारी (सदर) एवं क्षेत्राधिकारी (सदर) द्वारा इसकी जांच की गई और सभी शवों को उचित तरीके से गंगा नदी के तट पर पुलिस एवं प्रशासन की उपस्थिति में अंतिम संस्कार कर दिया गया.
जिलाधिकारी के मुताबिक शवों के आने के स्रोत के संबंध में जांच की जा रही है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बिहार की सीमा पर स्थित नरही थाना क्षेत्र के गंगा नदी के तट पर सोमवार शाम से शव मिलने शुरू हुए. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उजियार घाट, कुल्हड़िया घाट और भरौली घाट पर कुल 45 शव मिले हैं, हालांकि प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारी संख्या की पुष्टि नहीं कर रहे हैं.
शव प्रवाहित करने का सिलसिला अभी भी जारी
सूचना विभाग द्वारा जारी बयान में जिलाधिकारी अदिति सिंह ने शवों की संख्या की जानकारी नहीं दी है . पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा ने बताया कि उन्हें नहीं मालूम कि कुल कितने शव मिले हैं . उन्होंने बताया कि पुराने शव हैं और बिहार में शव को प्रवाहित करने की परंपरा है.
घटनास्थल पर पहुंचे एक अधिकारी के अनुसार नदी तट पर हवा का रुख देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ये शव बिहार की तरफ से बहकर आये हैं . जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में गरीब लोग ऑक्सीजन लेवल कम होने अथवा कोविड-19 से मौत हो जाने के बाद आर्थिक तंगी के कारण शवों को नदी में प्रवाहित कर देते हैं. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शव मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है.
NMCG ने शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने एवं निगरानी बढ़ाने का निर्देश
वहीं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने गंगा नदी में शवों को तैरते पाए जाने के बाद राज्यों को संदिग्ध कोविड-19 शवों का सुरक्षा प्रोटोकाल के अनुसार अंतिम संस्कार करने तथा जिला गंगा समिति को गंगा नदी में शवों को प्रवाहित करने पर रोक लगाने एवं निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है.
NMCG के एक अधिकारी ने बताया कि समाचारपत्रों/डिजिटल मीडिया में ऐसी खबरें आई कि कुछ स्थानों पर गंगा नदी में अज्ञात शवों को प्रवाहित किये जाने की खबरें आई हैं जिनके संदिग्ध कोविड पीड़ित होने की आशंका व्यक्त की गई है. इन शवों के बहकर गंगा नदी के किनारे आने से लोग स्तब्ध और भयभीत हैं.
उल्लेखनीय है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया है कि ये शव उन कोरोना पीड़ितों के हैं जिनके परिवार के सदस्यों द्वारा गरीबी के कारण और संसाधन के अभाव में शव को छोड़ दिया गया या सरकारी कर्मी इस डर से कि वे कहीं स्वयं संक्रमण की चपेट में न आ जाएं, शवों को नदी में फेंक कर फरार हो गए.