पितृ श्राद्ध व तर्पण के लिए यह सर्वोत्तम दिन है, यदि 16 दिनों में पूर्वजों के निमित्त तर्पण नहीं कर पाए हो तो अपने समस्त पूर्वजों के लिए सर्वपितृ अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है।
पूर्वजों के निमित्त दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का या गाय के घी का दीपक को प्रज्वलित करें।
पूर्वजों के निमित्त गाय, कुत्ते और कौऔ को चावल की खीर खिलाएं ।
जरूरतमंदों को कंबल, छाता, जूते चप्पल ,वस्त्र दान करें ।
ब्राह्मणो से पित्र तर्पण, अनुष्ठान करवा कर यथाशक्ति वस्त्र अलंकार इत्यादि दान करें ।
16 पीपल के पत्तो पर सफेद चंदन से ।।ॐ सर्व पितृदेवतायै नमः ।। लिखकर अपनी कोई एक मनोकामना बोलकर बहते पानी में बहाएं एक एक पत्ता बहाते जाए अपनी मनोकामना बोलते रहे ।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन दोपहर 12:00 बजे चार बड़ के पत्तों पर रूई की बाती सरसों के तेल में भिगोकर प्रज्वलित कर घर के चारों कोनों में रखें और पितृ देवता से घर की सारी समस्या निवारण की विनती करें।
एक नारियल पर श्वेत चंदन से स्वास्तिक बनाएं ,उसके ऊपर थोड़े से काले तिल व जऊ व एक सिक्का रखकर श्वेत वस्त्र में बांधकर दोपहर 12:00 बजे अपने पूरे घर में घुमाते हुए पितृ देवताओं का ध्यान करें और उनसे घर की प्रत्येक समस्याओं के निवारण की विनती करते हुऐ बहते जल में प्रवाहित करें, लाभ होगा।
साथ ही यह उपाय भी करें-
गीताजी के 18अध्यायो का पाठ करें।
पीपल वृक्ष में जौ,काले तिल, कच्चा दूध मिश्रित जल चढ़ाएं।
सूर्य देवता को पितरों के निमित्त जौ काले तिल कच्चा दूध मिश्रित जल अर्पण करें।
कच्चा भोजन किसी ब्राह्मण को देवें या मंदिर में रखें।
सात तरह के अनाजों का यथाशक्ति दान करें अवश्य ही लाभ होगा।
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