कालसर्प दोष एवं उसके निवारण
कालसर्प दोष निवारण के लिए श्राद्ध पक्ष बहुत ही उचित समय है. इस समय में होने वाली कालसर्प दोष शांति निवारण पूजा अत्यंत लाभदायक होती है और शीघ्र अति शीघ्र उसके शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं. कई लोग कालसर्प दोष से भयभीत रहते हैं, बल्कि ऐसा नहीं है. विधिवत की गई पूजा शांति से लाभ अर्जित किया जा सकता है. कई कालसर्प योग वाले व्यक्ति बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, कर्मशील, कर्मठ, नेक व आध्यात्मिक भी होते हैं. जन्म कुंडली के आधार पर ग्रहों की स्थिति देखकर यह तय होता है कि कालसर्प योग किसके लिए लाभप्रद है और किसके लिए हानि प्रद.
जन्म कुंडली में जातक के जन्म के समय राहु और केतु की परिधि में सातों ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का सृजन होता है, नौ ग्रहों मे राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है जिस प्रकार अपनी छाया अपना पीछा नहीं छोड़ती वैसे ही राहु केतु से बना कालसर्प दोष भी अपना पीछा नहीं छोड़ता जब तक कि आप उसका शांति निवारण नहीं करवा लेते. वैसे कालसर्प दोष शांति आप एक से अधिक बार भी करा सकते हैं यदा-कदा जहां संभव हो सके वहां पर इस दोष का निवारण अवश्य करना चाहिए.
क्या होते है लक्षण
कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को स्वप्न में सांप दिखाई देते हैं, आगजनी दिखाई देती है, ऊंचाई से गिरने का या अन्य कोई डरावना सपना दिखाई देता है बार-बार नजर लगती है, शारीरिक आर्थिक मानसिक तनाव रहता है , सिर पेट एवं पैर में विकार रहता है, शरीर पर चोट का निशान रहता है, जागृत अवस्था में भी सांप का भय बना रहता है अपने पीछे किसी अदृश्य सांये के होने का एहसास होता रहता है नहाते वक्त स्नानघर में डर लगता है ,प्रत्येक काम रुक रुक कर होते हैं, टोने टोटके का प्रभाव जल्दी होता है, इत्यादि लक्षणों में से कुछ लक्षण निश्चित रूप से पाए जाते हैं.
कुल 12 प्रकार के कालसर्प दोष माने गए हैं
- अनंत
- कुलिक
- वासुकि
- शंखपाल
- पद्म
- महापद्म
- तक्षक
- कर्कोटक
- शंखनाद
- घातक
- विषाक्त
- शेषनाग
वैसे मूलतः कालसर्प दोष निवारण पूजा उज्जैन ,त्रंबकेश्वर, प्रसिद्ध तीर्थों ,पावन नदियों के तट पर ,त्रिवेणी संगम पर, श्मशान के समीप किसी नदी के किनारे एवं ऐसे प्राचीन शिवालय जहां तालाब नदी इत्यादि हो की जा सकती है. कालसर्प दोष निवारण शांति हमेशा योग्य विद्वान आचार्य से ही करवाना चाहिए, इसके अलावा आप स्वयं यह उपाय भी कर सकते हैं.
कालसर्प दोष निवारण सरल और सहज उपाय
1/- चांदी का या तांबे का नाग का जोड़ा लगातार 1 वर्ष तक शुक्ल पक्ष की पंचमी को शिव मंदिर में चढ़ाएं या बहते पानी में प्रवाहित करें.
2/-नाग जोड़े की प्राण प्रतिष्ठा करा कर या विधिवत पूजन करा कर बहते हुए जल में प्रवाहित करें.
3/- त्रिधातु ,पंचधातु, सप्तधातु का सर्प एवं कालसर्प दोष यंत्र बना कर तात्रिक या वैदिक रीति से विधिवत पूजा अनुष्ठान करवा कर मंत्रोच्चारण के साथ बहती नदी में प्रवाहित करें. (धातुओं की विस्तृत जानकारी आप हम से प्राप्त कर सकते हैं)
4/-पंचमी या अमावस के दिन सप्तधान्य के आटे से 12 प्रकार के सर्पो का पुतला बनाकर त्रिवेणी संगम पर बहती जलधारा में विसर्जन करें.
5/- जौ, चावल और उड़द तीनों के मिश्रण किए हुए आटे का चोकोर दीपक बनाएं, उसमें तीन धातु का नाग का जोड़ा रखें, विधिवत पूजा अर्चना करके दीपक में सरसों,तील,व खोपरे का तेल डालकर मौली की बत्ती से प्रज्वलित कर प्रवाहित करें.
6/- कालसर्प दोष वाले व्यक्ति की जितनी उम्र हो उतने ग्राम तांबे का या चांदी का नाग बनवाएं, उसे खोपरे के गोले को ऊपर से काटकर नाग रखकर सरसों के तेल से भर देवे! खोपरे का गोला पैक करके उसके ऊपर उड़द के आटे का लेप लगा देवें तत्पश्चात एक मौली (लच्छा )से उस व्यक्ति की लंबाई नापकर टुकड़ा काट लेवे और गोले पर लपेटकर बांध देवे उसके बाद कालसर्प दोष वाले व्यक्ति के ऊपर से इसे 21 बार उतार कर नदी के गहरे पानी में प्रवाहित कर देवें, निश्चित रूप से दोष निवारण होगा.
उपरोक्त सभी उपाय किसी श्रेष्ठ विद्वान के सानिध्य में करें, जानकारी के अभाव में कोई कार्य नहीं करें !
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