महिला आरक्षण विधेयक पर सियासत तेज, कांग्रेस ने की आगामी सत्र में बिल पेश करने की मांग

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महिला आरक्षक विधेयक को लेकर सियासत तेज हो गई है। इस बिल को पारित कराने के लिए बीआरसी नेता के कविता भूख हड़ताल पर है। वहीं, कांग्रेस ने भी शुक्रवार को इस विधेयक को लेकर भाजपा से सवाल किया है। कांग्रेस ने भाजपा से इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करने की मांग की है। साथ ही कांग्रेस ने इसे संसद के बजट सत्र में पेश करने की भी मांग की है। गौरतलब है कि संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होने वाला है, जो कि चार अप्रैल तक चलेगा।

2010 में राज्यसभा में हुआ था पारित

कांग्रेस सरकार के नेतृत्व में 2010 के राज्यसभा में यह विधेयक पारित तो हुआ था, लेकिन लोकसभा में इसे समर्थन नहीं मिला था। इस पर पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक ट्वीट पर कहा- “9 मार्च 2010 को राज्यसभा में कांग्रेस नेतृत्व के प्रयासों के कारण ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया गया था। लेकिन लोकसभा में इसे समर्थन नहीं मिला। यह विधेयक लैप्स नहीं हुआ है बल्कि अभी तक जीवित और लंबित है।

अलका लांबा ने की यह टिप्पणी

एक संवाददाता सम्मेलन में जब विधेयक पर कांग्रेस नेता अलका लांबा से बातचीत की गई तब उन्होंने कहा कि जब यह विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ था, तब कांग्रेस के पास बहुमत नहीं था। उस समय यह गठबंधन वाली सरकार थी। उन्होंने आगे कहा- “हम राज्यसभा में बहुमत पारित कराने में कामयाब हुए थे। यह अभी भी जीवित है और भाजपा के पास लोकसभा में बहुमत भी है। उन्होंने भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा- अपने 2019 के घोषणापत्र में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया था, लेकिन नौ साल सरकार में रहने के बाद भी इस पर चुप्पी बनाकर बैठे हैं।”

संसद सत्र के शुरू होने से पहले अलका लांबा ने भाजपा सरकार को घेरते हुए इस विधेयक पर अपना रुख स्पष्ट करने के अलावा महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पेश करना और महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चितता की मांग की है।

विशेष रिपोर्ट-
अजीत राय ‘विश्वास’
चीफ एडवाइजर- ELE India News

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