वैसे तो करोना महामारी ने पहले से ही देश में मुश्किलों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था और रोजगार के हालात पर पर गहरी चोट की है, मगर कोरोना महामारी का सबसे बुरा असर महिलाओं के रोजगार और उनके कारोबार के लिए मिलने वाले निवेश पर हुआ है। इसके चलते नई नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी अगस्त महीने में घटकर 20 फीसदी से नीचे आ गई है। कोरोना के बाद से महिलाओं की जॉब मार्केट में हिस्सेदारी लगातार गिरी है। भारत सरकार की ओर जारी होने वाले रोजगार के आंकड़ो से यह जानकारी मिली है।
विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नई नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी कम होने की वजह कोरोना संकट के चलते बाजार मे नई नौकरियों की भारी कमी, पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव और नियोक्ता द्वारा काम के घंटे बढ़ाकर कर्मचारियों की लागत को कम करने का लक्ष्य शामिल हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से एकत्र किए गए पेरोल डेटा के अनुसार, अगस्त में 669,914 लोगों को नई नौकरी मिली उनमें से केवल 133,872, या सिर्फ 19.98% महिला कर्मी थी। वहीं, नई नियुक्तियों में महिला कर्मियों की संख्या जुलाई में 20.49% और जून में 21.11% थी।
महिला कर्मियों में कमी चिंता का विषय
सरकार एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कोरोना संकट का व्यापक असर सभी सेक्टर्स और रोजगार पर हुआ है। हालांकि, सबसे बुरा असर महिलाओं के रोजगार पर देखने को मिल रहा है। यह चिंता का विषय है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) ने भी अपनी रिपोर्ट में चेताया था कि कोरोना संकट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी तेजी से बढ़ेगी। वह देश जो पिछले कुछ सालों से रोजगार परिदृश्य सुधारने में कामयाब हुए थे वह एक बार फिर से पीछे चले जाएंगे।
तीन कारणों से संकट गहराया
एक्सएलआरआई जमशेदपुर में प्रोफेसर और अर्थशास्त्री के. आर. श्याम सुंदर ने कहा कि महिलाओं की जॉब मार्केट में हिस्सेदारी घटने की तीन वजह है। पहला, भारत की समाजिक संरचना पितृसत्तात्मक होने से महिलाओं को कमजोर समझा जाता है। कोरोना ने महिलाओं पर काम का दबाब बढ़ा दिया है। दूसरा, मैन्युफैक्चिरंग सेक्टर में पुरष को प्रधानता दी जाती है क्योंकि वह अधिक देर तक काम करते हैं। तीसरा, महिला कर्मियों को जॉब देने पर कंपनी को सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंधन करना होता है जो उन पर वित्तीय बोझ बढ़ाते हैं। कोरोना संकट में कंपनियां खर्चों को कम करने का काम कर रही हैं। ये सारे कारक ने महिलाओं की हिस्सेदारी जॉब मार्केट में घटाने का काम किया है।
महिलाओं के स्टार्टअप्स में फंडिग घटी
मेकर्स इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना संकट का असर महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिग पर हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में फंडिंग में 24 फीसदी की गिरावट आई है। 2019 की पहली छमाही में देश के महिला स्टार्टअप्स को 369 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली थी जो 2020 की पहली छमाही में घटकर 280 मिलियन रह गई। हालांकि, बीते 10 साल में महिलाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स की संख्या 11 गुना बढ़ी है।