मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के चलते लगभग पिछले 9 महीने से बंद प्राइवेट स्कूलों के संचालकों ने स्कूल खोलने की परमीशन न दिए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने स्कूल नहीं खोलने पर ऑनलाइन क्लासेस भी बंद करने की बात कही है। इसके लिए सामूहिक घोषणा करते हुए कहा कि सरकार को पांच दिन की मोहलत दी जा रही है। यदि वह स्कूल नहीं खोलने देती तो 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री के निवास का घेराव किया जाएगा।
उसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई तो अगले ही दिन से ऑनलाइन क्लासेस बंद कर देंगे। हमारे पास अब इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है। इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश के स्कूलों में किसी भी कक्षा में जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्ध अशासकीय विद्यालयों को मान्यता के लिये आवेदन के समय मान्यता शुल्क जमा करने की बाध्यता नहीं रहेगी। वे अगले सत्र 2020-21 के अंत तक शुल्क जमा कर सकेंगे।
कुछ दिनों पहले कोरोना योद्धाओं को लाठियों से पीटकर जेल में बंद कर देने वाली शिवराज सिंह सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों की एक धमकी से घबरा गई। लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूल खोलने के आदेश तैयार कर लिए हैं। माना जा रहा है कि आने वाली 1 या 2 दिन में आदेश जारी हो जाएंगे। अगले सप्ताह से मध्य प्रदेश में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों का नियमित संचालन शुरू हो जाएगा।
स्कूल संचालकों ने बताया पहली से बारहवीं तक के बच्चों की ट्यूशन फीस पालकों द्वारा जमा नहीं कराई जा रही है जिससे शिक्षकों के वेतन और स्कूल के संचालन में समस्या आ रही है। इसके साथ ही प्रतिनिधियों ने इस वर्ष का शैक्षणिक सत्र 15 मई 2021 तक बढ़ाने, कक्षा छठवीं और आठवीं को जनवरी 2021 तथा कक्षा पहली से पांचवी तक की कक्षाएं 15 जनवरी 2021 से संचालित करने का सुझाव दिया। अप्रैल 2020 से अनलॉक पीरियड तक का इलेक्ट्रिसिटी बिल, स्कूल बस टैक्स, आरटीओ परमिट और प्रॉपर्टी टैक्स को माफ कर दिया जाए।
मंत्री ने कहा कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के संचालन के बारे में शीघ्र ही विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे। कक्षा छठवीं से आठवीं तक की कक्षाओं के बारे में निर्णय कोरोना वायरस संक्रमण की परिस्थितियों अनुरूप लिया जाएगा।
स्कूल संचालक इसलिए आंदोलन की राह पर
स्कूल संचालकों का कहना है कि यह शैक्षणिक संस्थान से जुड़े 30 लाख परिवारों का सवाल है। जब मॉल, मंदिर, पिकनिक स्पॉट, बाजार, दुकानें और सिनेमाघर सब खुल रहे हैं, तो सिर्फ स्कूल में कोरोना का डर कैसा?शासन अपनी मंशा साफ करे, क्योंकि यह बच्चों के साथ ही कई परिवारों के भविष्य का भी सवाल है। प्रदेश में 74 हजार से अधिक प्राइवेट स्कूल हैं। ऑनलाइन एजुकेशन को बढ़ावा देने के चक्कर में शासन बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। अगर सरकार फिर भी नहीं मानती है, तो 15 दिसंबर को प्रदेश में प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान ऑनलाइन क्लास बंद कर देंगे।
यह चेतावनी भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल, सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर मध्य प्रदेश, एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट एमपी, संस्था संगठन बैरागढ़ भोपाल, जबलपुर अन-एडिड स्कूल एसोसिएशन, इंडिपेंडेंट स्कूल एयलाइंस इंदौर, ग्वालियर प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन समिति, सहोदय ग्रुप ऑफ सीबीएसई स्कूल भोपाल, ग्वालियर सहोदय ग्रुप ने दी है। उन्होंने सरकार से मनमानी बंद करते हुए संस्थान खोले जाने की वकालत की है।
सरकार पर लगाए आरोप
संस्था के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि सरकार मनमानी कर रही है। बच्चों के भविष्य का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। इसमें करीब 30 लाख परिवार के सामने सुसाइड करने का संकट आ गया है। अब निजी शैक्षणिक संस्थान किसी को भी वेतन देने की स्थिति में नहीं है। अगर सरकार जल्द स्कूल खोलने का निर्णय नहीं लेती, तो फिर कुछ भी स्थिति बन सकती है।
सरकार से प्रमुख मांगें
सहोदय ग्रुप के अध्यक्ष अनुपम चौकसे, एटीपीआई के अध्यक्ष केसी जैन, विनी राज मोदी और अजीत पटेल ने बताया कि हम चाहते हैं कि सरकार अगर स्कूल खोलने का निर्णय नहीं लेती है, तो हमारी 10 प्रमुख मांगे हैं। इनमें मुख्य रूप से स्कूल से जुड़े स्टाफ के वेतन का मामला है। या तो सरकार जिम्मेदारी उठा ले, या हमें बिना ब्याज 2 करोड़ रुपए तक का लोन दे, ताकि वेतन आदि चुकाया जा सके। दूसरा- जब स्कूल नहीं लग रहे हैं, तो बिजली, पानी और अन्य करों में रियायत दी जाए, ताकि खर्चे को कम किया जा सके।
जनरल प्रमोशन की बात सुनते ही 50% रह गई ऑनलाइन अटैंडेंस
संचालकों ने कहा कि बीते 10 दिन में ऑनलाइन क्लास में बच्चों की उपस्थिति 50% हो गई है। सरकार ने जब से जनरल प्रमोशन की बात की है, तभी से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लग रहा। वह क्लास अटेंड नहीं कर रहे हैं, इसलिए जनरल प्रमोशन जैसी कोई भी चीज नहीं दी जानी चाहिए। इसकी जगह हमें समय दिया जाना चाहिए, ताकि स्कूल खोल कर बच्चों को पढ़ाया जा सके और उनकी परीक्षा ली जा सके। इससे उन्हें भी जब उसका रिजल्ट मिलेगा, तो उन्हें एहसास रहे कि यह उनकी मेहनत का परिणाम है।