मध्य प्रदेश में भाजपा की अंदरूनी कलह सामने आने लगी है। इसी सप्ताह हुई कैबिनेट बैठक में सियासी नजारा देखने को मिला। कैबिनेट बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नर्मदा घाटी विकास योजना में बजट से ज्यादा छूट देने के प्रस्ताव का विरोध किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में जिस तरह नरोत्तम मिश्रा ने परियोजनाओं को सरकारी छूट दिए जाने पर आपत्ति जताई वह हैरान करने वाली घटना थी, पहली बार मुख्यमंत्री और गृहमंत्री इस मुद्दे पर आमने-सामने दिखे।
दरअसल, कोरोना के बाद पहली बार भोपाल में सभी मंत्री वल्लभ भवन में बैठक करने आए थे। कोरोना के चलते पिछले कई महीनों से वर्चुअल कैबिनेट बैठक हो रही थी। बैठक में नर्मदा घाटी विकास योजना के 8800 करोड़ रुपये के दो प्रोजेक्ट को बजट से ज्यादा छूट देने का प्रस्ताव आया । इस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विरोध करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं में बांध नहीं बने हैं, लेकिन पाइप पहले ही डाले जा रहे हैं। यह समझ से परे है।
सरकार सीमा से ज्यादा छूट देने पर क्यों सोच रही
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जब कोरोना संकट के दौरान सारे विभागों के बजट में कटौती की जा रही है तो इस विभाग को सरकार सीमा से ज्यादा छूट देने पर क्यों सोच रही है। हालांकि बैठक में कुछ दूसरे मंत्रियों ने कहा कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी जानी चाहिए, जिसपर मिश्रा ने कहा कि इस पर उनका विरोध दर्ज किया जाए। वह इसके पक्ष में कतई नहीं हैं। मिश्रा के तेवर देख सभी मंत्री हैरान थे। हालांकि कुछ मंत्री गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ थे, तो कुछ उनके खिलाफ में आवाज उठाए।
बैठक में नरोत्तम मिश्रा के विरोध करने पर भी शिवराज सिंह चुपाचाप बैठे रहे
इतना ही नहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मामले पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से भी जवाब तलब किया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चुपचाप बैठे रहे और मिश्रा बैठक से उठकर सीधे भाजपा दफ्तर पहुंचे और और संगठन मंत्री से मुलाकात कर अपनी बात रखी। हालांकि बाद में ये सारे प्रस्ताव पारित कर दिए गए।
कांग्रेस सरकार गिराने में नरोत्तम मिश्रा की अहम भूमिका
दरअसल, पिछले कुछ समय से शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा के बीच मनमुटाव चल रहा है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिराने के पीछे दतिया विधायक नरोत्तम मिश्रा की अहम भूमिका बताई जा रही थी। नरोत्तम मिश्रा और उनके करीबियों क मानना है कि प्रदेश में भाजपा सरकार भले ही सत्ता में आ गई, लेकिन उनका हक नहीं मिला। यही वजह है कि कुछ दिनों पहले उनकी कैलाश विजयवर्गीय, प्रभात झा और प्रह्लाद पटेल से बैठकों की तस्वीरें सामने आई थी उन्होंने इसे सामान्य मेल मुलाकात कहा था।
विशेष रिपोर्ट: स्टेट ब्यूरो चीफ- प्रकाश बारोड़