सूर्य जब राशि में भम्रण करता है तो उसे संक्रांति कहते हैं। इसी तरह से जब सूर्य धनु राशि से मकर में प्रवेश करता है, उसे मकर संक्रांति कहते हैं। हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य छह माह के लिए उत्तरायण होता है। यही कारण है कि देश के कई हिस्सों में इसे उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दान करने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन मांगलिक कार्यों को करना शुभ होता है।
जानिए कैसे और किस तरह करें मकर सक्रांति पर दान
मकर सक्रांति सूर्य के मकर राशि में आने पर होती है। शनि मकर राशि के स्वामी है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य भगवान मकर राशि पर अपने पुत्र के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस वर्ष मकर सक्रांति सूर्य प्रातः 8:14 बजे आएंगे। सूर्य के मकर राशि में आने से उत्तरायण आरंभ हो जाता है। अयन का अर्थ होता है गति। सूर्य की दो प्रकार की गति है उत्तरायण और दक्षिणायन। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है और दक्षिणायन को देवताओं की रात। पितामह भीष्म ने भी उत्तरायण में सूर्य आने पर ही अपना शरीर त्यागा था। सक्रांति का अर्थ होता है बदलाव। 14 जनवरी के पश्चात सूर्य की गति उत्तर की ओर आरंभ हो जाती है। सूर्य की किरणों में गर्मी आने शुरू हो जाती है और दिन बड़ा होना शुरू हो जाता है। आपने महसूस किया होगा गर्मियों में सूर्य उत्तर की ओर अर्थात ईशान दिशा में निकलते हैं और दक्षिणायन में सर्दियों में दक्षिण की ओर अर्थात आग्नेय दिशा में निकलते हैं। इसलिए इनका नाम उत्तरायण और दक्षिणायन है।
मकर सक्रांति पर कैसे करें पूजा पाठ
सक्रांति देवताओं का पर्व है। इस दिन तीर्थ क्षेत्र पर, संगम अथवा गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति के अनुसार लोग स्नानादि से निवृत्त होकर विभिन्न वस्तुएं दान करते हैं। प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही शुद्ध जल से स्नान करना बहुत शुभ माना गया है। जो व्यक्ति तीर्थ स्थान नहीं जा सकते वो घर पर ही गंगाजल या पवित्र नदियों के जल से स्नान कर सकते हैं। स्नान के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप, सूर्य की आराधना और अपने इष्ट और गुरु के मंत्र का जाप बहुत ही उत्तम फल देने वाला है। कहा जाता है कि इस दिन जो भी मंत्र जाप, यज्ञ और दान किया जाता है। उसका शुभ प्रभाव 10 गुना होता है। मकर सक्रांति को लोग खिचड़ी बनाते हैं। खिचड़ी का अर्थ है- सम्मिश्रण या समरसता। चावल,उड़द की दाल,गुड,घी तथा अन्यान्य वस्तुओं के द्वारा बनाई गई खिचड़ी समाज को एकरूपता में बांधने का भी संदेश देती है। इस दिन गरीबों को कंबल, वस्त्र का दान करना बहुत उत्तम होता है।
चावल और उड़द मिलाकर खिचड़ी का दान बहुत उत्तम है क्योंकि चावल अक्षय भंडार के प्रतीक होते हैं। इनका दान करने से घर में सुख समृद्धि और मन में शांति का निवास होता है और उड़द एवं उडद की दाल का दान करने से शनि प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति को तिल का दान या तिल से बने भी मिष्ठान, रेवड़ी, गजक आदि का दान बहुत उत्तम होता है। मूंगफली, बादाम, खजूर एवं छुहारे आदि का दान भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर सकते हैं। जितने भी पदार्थ शरीर को गर्म रखते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं। उन सब का दान इस दिन बहुत श्रेष्ठ है।
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