कोरोना काल में भारतीय अर्थव्यवस्था चार दशक की सबसे बड़ी गिरावट झेलते हुए जून तिमाही में 23.9 फ़ीसदी नीचे गिर गयी। लॉक डाउन की सीधी मार देश के जीडीपी ग्रोथ पर पड़ी है। वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9% की गिरावट दर्ज की गई है। यानी अब हमारी जीडीपी ग्रोथ 0% भी नहीं बल्कि -23.9% हो गयी है। दरअसल 1996 से देश में जीडीपी के तिमाही नतीजे घोषित करने की शुरुआत की गई थी और तब से लेकर आज तक की सबसे बड़ी गिरावट है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा है कि आजादी के बाद देश में जीडीपी की सबसे बड़ी गिरावट है।
केंद्र सरकार की ओर से जीडीपी के आंकड़े जारी करते हुए बताया गया है कि कोरोना काल में निजी निवेश में बहुत ज्यादा कमी आई है और उपभोक्ता में भी गिरावट दर्ज की गई है इसीलिए जीडीपी का पहिया उल्टा घूम गया है। आपको ज्ञात होगा कि लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने करीब 21 लाख करोड रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया था लेकिन यह आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि सरकारी उपायों से अर्थव्यवस्था पर लोगों में ना तो कोई भरोसा बढ़ा ना ही इसका कोई असर हुआ।
इसके साथ ही देश के 8 कोर उद्योगों में भी उत्पादन दर में 9.6 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में उर्वरक को छोड़कर अन्य सातों क्षेत्रों कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात सीमेंट और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में भी गिरावट आई है। जुलाई माह में इस्पात का उत्पादन 16.5% रिफाइनरी उत्पादों का 13.9% सीमेंट का 13.5% प्राकृतिक गैस का 10.2% कोयले का 5.7% कच्चे तेल का 4.9% और बिजली का उत्पादन 2.3% नीचे आया है जबकि जुलाई में उर्वरक का उत्पादन 6.9% बढ़ा है।
जीडीपी में आई इस भारी गिरावट के लिए सरकार भले ही लॉकडाउन को जिम्मेदार बता रही है, लेकिन यही इसका एकमात्र कारण नहीं है। यदि आंकड़ों पर ध्यान दें तो यह साफ है कि पिछले 5 सालों से ही अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट देखी जा रही है। अर्थव्यवस्था के आधार स्तंभ कहे जाने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 39.3 फ़ीसदी कंस्ट्रक्शन में 50.3 फ़ीसदी और ट्रेड में 45 फ़ीसदी की कमी आई है। इसके अलावा उपभोग और निजी सेक्टर के निवेश में भी भारी कमी आने के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मंदी को ‘एक्ट ऑफ गॉड’ बताते हुए कोरोना वायरस को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन यह पूरा सच नहीं है और यह साफ है कि पिछले 5 सालों से लगातार अर्थव्यवस्था में गिरावट हो रही है। यदि पिछले साल वित्त वर्ष 2019- 20 की ही बात करें तो अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी की दर 5.2 फ़ीसदी थी जो कि कम होते हुए चौथी तिमाही में 3.1 फ़ीसदी ही रह गई थी। यदि वित्त वर्ष 2015 16 से लेकर अभी तक लगातार मांगों पर ध्यान दिया जाए तो यह गिरावट लगातार आती हुई दिख जाएगी।
इसके अलावा एक सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों में देश की अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाता है। असंगठित क्षेत्र की कुल रोजगार का लगभग 90% रोजगार उपलब्ध कराता है और इस सेक्टर पर कोरोना काल में लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है। खास तौर से मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में असंगठित क्षेत्र का बहुत अहम योगदान रहता है, इसलिए यदि असंगठित क्षेत्र के आंकड़े भी उपलब्ध होते और शामिल किए जाते तो ये गिरावट और ज्यादा भयावह दिखाई पड़ती।