बीमा कंपनियां चैरिटी नहीं कर रही, इलाज पर जितना खर्च करती हैं, उससे अधिक प्रीमियम लेती हैं : दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बीमा कंपनियां कोई चैरिटी नहीं कर रही हैं, वो स्वास्थ्य बीमा धारक के इलाज पर जितना खर्च करती हैं, उससे कहीं अधिक प्रीमियम के तौर पर रकम वसूलती हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा-IRDA) ने कहा कि कोरोना बीमारी के इलाज के लिए महज 155 रुपये के प्रीमियम पर बीमा जारी किया गया था।

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने इसके साथ ही इरडा को बीमा का लाभ लेने के लिए कम से कम 24 घंटे तक अस्पताल में अनिवार्य तौर पर भर्ती होने की शर्त में छूट देने के बारे में विचार करने के लिए कहा है।

बेंच ने इसके साथ ही इरडा को मौजूदा मेडिक्लेम धारकों को अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके ‘कोरोना सुरक्षा कवच’ शामिल करने के बार में विचार करने के लिए कहा है। बेंच ने कहा है कि बीमा का लाभ लेने के लिए यदि अस्पताल में भर्ती होने की अनिवार्य शर्तों में छूट नहीं दी गई तो इससे काफी संख्या में लोग वंचित हो जाएंगे।

हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली ही नहीं, पूरे देशभर के अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर नहीं मिल रहे थे। बेंच ने कहा कि जिन्हें आईसीयू, वेंटिलेटर और बेड की जरूरत थी, वे अपने घरों में किसी तरह इलाज करा रहे थे। बेंच ने कहा कि ऐसे में काफी संख्या में बीमा धारक इलाज में इसका लाभ महज इसलिए नहीं ले पाएंगे क्योंकि वे अस्पताल में भर्ती नहीं हो सके।

बेंच ने कहा कि ऐसे में मेडिक्लेम का लाभ लेने के लिए अस्पताल में भर्ती होने की अनिवार्य शर्त में छूट देने पर विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा हाईकोर्ट ने इरडा को कहा है कि वे मौजूदा बीमा धारकों को एसएमएस भेजकर अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करके कोरोना संक्रमण के लिए जारी नई स्वास्थ्य बीमा ‘कोरोना सुरक्षा कवच’ को शामिल करने के बारे में पूछ सकते हैं।

हाईकोर्ट ने इरडा से कहा कि इससे बड़ी संख्या में लोगों को लाभ होगा। बेंच ने इरडा से इन मुद्दों पर बीमा कंपनियों से बातचीत करके 4 सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इस मसले पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। कोरोना संक्रमण की निगरानी मांग को लेकर पिछले साल जनहित याचिका दाखिल करने वाले वकील राकेश मल्होत्रा ने इस बारे में हाईकोर्ट का ध्यान दिलाया। मल्होत्रा ने बेंच को बताया कि उन्हें भर्ती होने के बाद महज 23 घंटे के भीतर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और इसकी वजह से उन्हें मेडिक्लेम का लाभ नहीं दिया गया। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि हम मानते हैं कि इरडा ने काफी कदम उठाए हैं, लेकिन कुछ और कदम उठाने की जरूरत है।

65 साल से अधिक उम्र के लोगों को बीमा की ज्यादा जरूरत

इरडा ने हाईकोर्ट को बताया कि मेडिक्लेम को लेकर चार पॉलिसियां हैं। इसमें पहला व्यापक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां हैं जो कोरोना से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की लागत को कवर करती हैं। साथ ही कहा कि कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए दो विशेष पॉलिसी- कोरोना कवच और कोरोना रक्षक नाम से जारी की गई हैं। इरडा की ओर से वकील अभिषेक नंदा ने बेंच को बताया कि कोरोना कवच क्षतिपूर्ति आधारित है और इसमें होम आइसोलेशन भी शामिल है और ये शॉर्ट टर्म पॉलिसी है। उन्होंने कहा कि कोरोना रक्षक में 72 घंटे अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है। नंदा ने बेंच को बताया कि इस पॉलिसी में 18 से 65 साल तक लोगों को शामिल किया गया है। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को इसमे शामिल क्यों नहीं किया गया। बेंच ने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को बीमा की ज्यादा जरूरत है, उन्हें क्यों नहीं शामिल किया गया। बेंच ने इरडा से कहा कि यह कल्याणकारी कदम नहीं है। साथ ही 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी बीमा का लाभ देने के बारे में विचार करने और बताने को कहा है। 

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