‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की धीमी रफ्तार पर लोकसभा की विशेष समिति ने जताई चिंता

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परियोजनाओं की धीमी रफ्तार को लोकसभा की विशेष समिति ने गंभीरता से लिया है और मंत्रालय से सिफारिश की है कि मंत्रालय तय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय-समय पर आवास निर्माण की योजनाओं की समीक्षा करे। समीक्षा में उन कारणों की भी पहचान करे, जो कि परियोजनाओं में देरी की वजह रहे हैं। हाल ही में यह रिपोर्ट संसद में समिति के सभापति गिरीश भालचंद्र बापट पेश की है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.02 करोड़ मकान का निर्माण 15 अगस्त 2022 तक पूर्ण कर लिया गया है। इसी प्रकार 2.95 करोड़ मकान का लक्ष्य मार्च 2024 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है। मार्च 2023 तक के लिए यह लक्ष्य 2.38 करोड़ का रखा गया है। मंत्रालय के मुताबिक वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रतिदिन 9837 मकानों की दर से कुल 8.75 लाख मकानों का निर्माण किया गया है।

आने वाले दिनों में इस निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है क्योंकि मंत्रालय इसके लिए आवास निर्माण योजना की समय समय पर समीक्षा कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के 13 राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, असम, बिहार, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और जम्मू कश्मीर के पास 2.50 करोड़ मकान का लक्ष्य है।

इन राज्यों ने 2.26 करोड़ मकान में से 93 फीसद को पहले ही स्वीकृति दे दी है है। इन 13 राज्यों के क्षेत्रों में 1.7 करोड़ मकान पूरे किए हैं जोकि निर्मित मकानों का 93.92 फीसद है। मंत्रालय सभी राज्यों से निर्माण कार्य की रफ्तार बढ़ाने के लिए लगातार सचिव स्तरों पर बैठक कर रहा है ताकि पाक्षिक लक्ष्य को समय सीमा के भीतर पूर्ण किया जा सके।

रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2021 22 के दौरान 44,25,494 आवास था, जिसमें से 15 जुलाई 2021 तक 11,11,811 आवास का निर्माण किया गया। जबकि 15 सितंबर 2021 में 2.95 आवास की तुलना में 15 जुलाई 2022 तक 1,57,06,048 घरों का निर्माण हुआ। जो कि बीते वर्षेां में 1.37,93,952 मकान की देरी है। जबकि आवास सुविधा उपलब्ध कराने के लक्ष्य में एक साल का ही समय बचा है। समिति के मुताबिक इन लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए मंत्रालय ने कई पहल शुरू की है ताकि तय लक्ष्य को पूर्ण किया जा सके।

विशेष रिपोर्ट-

प्रवीण यादव
सह-संस्थापक : ELE India News

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