ज्योतिषी दृष्टिकोण से जन्म कुंडली में विभिन्न ग्रहों के आधार पर पितृदोष को जाना जा सकता है। विशेषत: पितृदोष के कष्ट इस बात पर निर्भर करते हैं कि पितृदोष किन ग्रहों के योग से और किस भाव में स्थित होकर दोष उत्पन्न कर रहे हैं। सामान्यत: सूर्य, चंद्र, गुरु, शनि ,राहु इन ग्रहों की स्थिति देखकर पितृदोष की जानकारी प्राप्त की जाती है। जातक की जन्मकुंडली में कितने भी अच्छे योग क्यों ना हो यदि कुंडली के अंदर पितृदोष है तो उसका निराकरण अत्यंत आवश्यक है।
पितृदोष के लक्षण – शुभ एवं मांगलिक अवसरों पर क्रोध एवं क्लेश का उत्पन्न हो जाना, उत्तम व्यापार होने पर भी आर्थिक तंगी का होना, संतान ना होना या संतान द्वारा प्रताड़ित करना, बार-बार कोई रोग हो जाना और बहुत इलाज कराने के बाद भी रोग समझ में ना आना, अभीचार कर्म हो जाना ,शत्रु बाधा हो जाना, पारिवारिक आपसी संबंधों का बिगड़ जाना आदि ऐसे कई लक्षण पितृदोष के ही होते हैं।
पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजाऐं-
श्राद्ध व तर्पण- प्रायः अपने सभी पितरों के लिए प्रत्येक व्यक्ति को, श्राद्ध पक्ष में , पुण्य तिथि पर या कृष्ण पक्ष में कोई विशेष तिथि देखकर या किसी भी अमावस्या को अपने पूर्वजों के निमित्त योग्य ब्राह्मण आचार्य द्वारा श्राद्ध एवं तर्पण विधि जरूर कर लेना चाहिए। यह विधि घर पर एवं पवित्र नदियों के पवित्र घाट पर संपन्न की जा सकती है। इससे पूर्वज तृप्त होकर जातक को दोष मुक्त कर देते हैं।
त्रिपिंडी श्राद्ध- किसी व्यक्ति का लगातार 3 वर्षों तक श्राद्ध ना किया गया हो तो मृत आत्मा प्रेत योनि में चली जाती है और परिवार में कई प्रकार की विपत्तियां शुरू हो जाती है इसलिए उनके निमित्त त्रिपिंडी श्राद्ध करवाना चाहिए।
नारायण बली कर्म– परिवार में किसी का आकस्मिक निधन हुआ हो, जल से आग से करंट से या अन्य किसी दुर्घटना से मृत्यु होती है, गर्भपात हुआ हो या संतान होते ही मर जाती है तो ऐसी आत्माओं की शांति के लिए नारायण बलि का विधान श्रेष्ठ ब्राह्मणों द्वारा पवित्र नदियों के घाट एवं तीर्थ स्थानों पर संपन्न किया जाता है।
नागबली कर्म- यदि किसी की जन्म कुंडली में सर्प दोष हो स्वयं से या अपने पूर्वजों से जाने अनजाने नाग हत्या हुई हो या करवाई गई हो, तो भी पितृदोष का कारण बनता है। इसलिए समस्त नाग बाधाओं के निवारण के लिए नारायण बली के साथ नागबली कर्म संपन्न किया जाना चाहिए।
कालसर्प दोष- जन्म कुंडली में 12 प्रकार के कालसर्प दोष माने गए हैं। कालसर्प दोष भी पितृदोष का एक प्रकार है। कालसर्प दोष के कारण भी व्यक्ति के जीवन में मानसिक शारीरिक आर्थिक परेशानियां आती रहती है। कालसर्प दोष निवारण भी पवित्र नदियों के घाट पर संपन्न किए जाते हैं इसके निवारण से जीवन में कई प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
उपरोक्त सभी कर्म के लिए पितृ पक्ष अति उत्तम समय है इसलिए श्राद्ध पक्ष में जातक को इन समस्याओं का निवारण अवश्य करवाना चाहिए।
भव्यशक्ति ज्योतिष अनुसंधान- ध्यान योगी रोहित गुरु जी द्वारा प्रतिदिन श्राद्ध पक्ष में पित्र दोष के कारण एवं निवारण जानने के लिए जुड़े रहिये ELE India News से..
Nise having much information