पंजाब में कानून-व्यवस्था को लेकर भाजपा की शिकायत पर राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर द्वारा सूबे की मुख्य सचिव और पंजाब के डीजीपी को राजभवन में तलब किए जाने का मामला गरमाने लगा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्यपाल द्वारा उनसे गृहमंत्री होने के नाते रिपोर्ट मांगने की बजाए अधिकारियों को तलब किए जाने का कड़ा विरोध किया। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी राज्यपाल के फैसले पर कड़ा विरोध जताया था।
मोबाइल टावरों पर हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद भाजपा द्वारा राज्यपाल के समक्ष सूबे की कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए जाने पर कैप्टन ने कड़ा एतराज जताया है। कैप्टन ने कहा कि भाजपा द्वारा ऐसा किया जाना तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन से ध्यान हटाने की रणनीति के अलावा कुछ नहीं है। कैप्टन ने कहा कि फिर भी राज्यपाल कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर इतने चिंतित हुए हैं तो उन्हें गृह विभाग का संरक्षक होने के नाते सीधे मुझसे बात करनी चाहिए थी।
Mobile towers can be repaired but farmers dying at Delhi borders can’t be brought back. @BJP4India’s false propaganda on law & order in Punjab is a diversionary tactic. Unfortunate that @vpsbadnore ji fell for it & summoned my officers rather than seeking a direct report from me.
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) January 2, 2021
मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्षतिग्रस्त टावर ठीक हो सकते हैं और ठीक किए जा रहे हैं लेकिन उन किसानों का क्या, जिन्होंने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की उदासीनता के चलते दिल्ली की सीमाओं पर अपने अधिकारों के लिए कड़ाके की सर्दी में जान गंवा दी। कैप्टन ने इस बात पर आक्रोश जताया कि आज तक किसी भी भाजपा नेता ने आंदोलनकारी किसानों की मौतों पर कभी कोई चिंता नहीं जताई।
कैप्टन ने आगे कहा कि जिनकी जान गई है वे कभी दोबारा नहीं आ सकते। उन्होंने पंजाब भाजपा के नेताओं से उनकी दुर्भावनापूर्ण टिप्पणियों के साथ एक शांतिपूर्ण आंदोलन का राजनीतिकरण बंद करने को कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के माथे पर नक्सली, खालिस्तानी जैसे शब्दों का कलंक लगाने के बजाय भाजपा को केंद्र सरकार में अपनी लीडरशिप पर अन्नदाताओं की आवाज सुनने और काले कृषि कानूनों को रद करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।