सुप्रीम कोर्ट ने राइटर्स क्रैंप से पीड़ित न्यायिक सेवा के एक उम्मीदवार को उत्तराखंड में सिविल जलों के लिए प्रारंभिक परीक्षा लिखने के लिए लिपिक (स्क्राइब) की मदद लेने की इजाजत दे दी है। यह परीक्षा रविवार को है। उम्मीदवार धनंजय कुमार लिपिक की मदद की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड लोकसेवा आयोग और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा कि कुमार के लिपिक के अनुरोध को क्यों खारिज कर दिया गया। पीठ ने कहा कि हम परीक्षा कराने के प्रभारी उत्तराखंड लोकसेवा आयोग को अंतरिम निर्देश दे रहे हैं कि वह परीक्षा सुनिश्चित कराने के लिए याचिकाकर्ता को एक लिपिक मुहैया कराना सुनिश्चित करे।
उम्मीदवार धनंजय ने याचिका में कहा कि लिपिक की मदद लेने के उनके आग्रह को उत्तराखंड लोकसेवा आयोग ने 20 अप्रैल को खारिज कर दिया था। उन्होंने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि राइटर्स क्रैंप से पीड़ित होने के कारण उन्हें एक लिपिक की मदद लेने की इजाजत दी जाए। राइटर्स क्रैंप एक कार्य-विशिष्ट संचलन विकार है जो अवांछित मांसपेशियों की ऐंठन के रूप में होता है। यह हाथों, उंगलियों और अग्र भुजा को प्रभावित करता है।
अपनी ‘थोक आरक्षण’ नीति की समीक्षा करे मप्र सरकार
एक अन्य मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य के निवासियों को 75 फीसदी आरक्षण देने की अपनी नीति की समीक्षा करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने इसे ‘थोक आरक्षण’ कहा है जो असांविधानिक है। शीर्ष अदालत ने कहा, मध्य प्रदेश के निवासियों के लिए 75 फीसदी सीटें आरक्षित करना ‘बहुत अधिक’ है और जैसा कि पिछले दो साल के आंकड़े बताते हैं यह अभीष्ट उद्देश्यों को पूरा नहीं कर रहा है।
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धुलिया की पीठ ने कहा, यद्यपि राज्य सरकार को अपने निवासियों के लिए सीटें आरक्षित करने का अधिकार है, लेकिन ऐसा करते हुए उसे जमीनी हकीकत का भी ध्यान रखना चाहिए। इस क्रम में हमारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए अगले शैक्षणिक वर्ष से सीटों की संख्या निवासियों और अनिवासियों के लिए फिर से तय की जाएंगी।
याचिका में सीटें खाली रह जाने का दिया गया था तर्क : पीठ ने कहा, प्रदीप जैन मामले में 75% आरक्षण को असांविधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन माना गया था। राज्य सरकार पिछले साल के आंकड़ों पर गौर करने के बाद तय करे की वास्तव में किस हद तक आरक्षण होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने वीना वादिनी समाज कल्याण विकास समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है।
अवैध संपत्ति मामले में झारखंड के पूर्व मंत्री एक्का को जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व मंत्री एनोस एक्का को अवैध संपत्ति मामले में जमानत दे दी है। झारखंड की एक अदालत ने एक्का को इस मामले में मनी लॉड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी ठहराया है। जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम व जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने एक्का को जमानत पर छोड़ने का निर्देश देते हुए कहा कि वह पहले ही पीएमएलए के तहत साढ़े पांच साल और सीबीआई से जुड़े मामले में सात साल की जेल काट चुके हैं। निचली अदालत की शर्तों के आधार पर एक्का को दोनों मामलों में जमानत पर रिहा किया जाए।
न्यायिक सेवा परीक्षा में दिव्यांग को सहायता लेने की अनुमति देने का निर्णय सराहनीय
कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने ‘राइटर्स क्रैम्प’ नामक समस्या से जूझ रहे न्यायिक सेवा परीक्षार्थी को उत्तराखंड सिविल न्यायाधीश भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा लिखने के लिए एक व्यक्ति की सहायता लेने की अनुमति देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश की रविवार को सराहना की। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शनिवार को अंतरिम आदेश पारित किया। ‘राइटर्स क्रैंप’ नामक समस्या में किसी व्यक्ति को लिखने में परेशानी होती है। रीजीजू ने ट्वीट किया, “माननीय प्रधान न्यायाधीश डॉ. डी .वाई. चंद्रचूड़ का मार्मिक कदम। उत्तराखंड में न्यायिक सेवा परीक्षा देने के इच्छुक दिव्यांग परीक्षार्थी के लिए बड़ी राहत। उन्होंने शीर्ष अदालत का रुख करने वाले परीक्षार्थी के वकील द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किया गया स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि पात्र व्यक्ति को समय पर न्याय मिलना “बहुत संतोषजनक” है। परीक्षार्थी धनंजय कुमार ने लिखित परीक्षा के लिए एक व्यक्ति की सहायता लेने के संबंध में शीर्ष अदालत का रुख किया था।
विशेष रिपोर्ट-
सुरेन्द्र कुमार
‘एक्सपर्ट एडवाइजर’ -ELE India News