प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) पिछले 8 वर्षों में देश के निचले तबकों और छोटे उद्योगों के लिए वरदान साबित हुई है। एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, छोटे उद्योगों को सशक्त बनाना मुद्रा योजना की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रहा है।
योजना लॉन्च के बाद से कुल वितरण का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि वित्तीय संस्थान कमजोर समूहों के लिए बेहतर व जरूरतों के अनुसार वित्तीय ऑफर तैयार करने में सक्षम हो गए हैं। पीएमएमवाई से समाज के निचले तबकों का आर्थिक दबदबा बढ़ रहा है। संसाधनों का समान पुनर्वितरण सुनिश्चित हो रहा है। साथ ही, सभी का समान रूप से आर्थिक व सामाजिक रूप से उन्नयन हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, 8 साल में कर्ज के औसत टिकट का आकार 38,000 रुपये से दोगुना बढ़कर 76,000 रुपये हो गया है। पहले तीन वर्षों में योजना के तहत कर्ज वितरण 33 फीसदी बढ़ा। लेकिन कोरोना के बाद इसमें गिरावट आई। हालांकि, 2022-23 तक फिर इसमें 36 फीसदी की तेजी आई।
8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई थी मुद्रा योजना
6 वर्षों (2016-2022) के दौरान प्रति महिला कर्ज 11% बढ़ा और यह बढ़कर 42,791 रुपये पर पहुंच गया। प्रति महिला जमा भी 10.7% बढ़कर 61,476 रुपये पर पहुंच गया।
तीन कैटेगरी : शिशु- 50 हजार n किशोर- 50,000 से 5 लाख n तरुण- 5 से 10 लाख का कर्ज
शिशु सेगमेंट में सबसे ज्यादा कर्ज अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को
तरुण की तुलना में किशोर सेगमेंट में अल्पसंख्यकों ज्यादा कर्ज दिया गया है। नए उद्यमियों और मुद्रा कार्ड मालिकों जैसे उद्यमियों ने तरुण में सबसे अधिक कर्ज वितरण का लाभ उठाया है।
महिलाओं को 2.4 गुना ज्यादा कर्ज
किशोर सेगमेंट में महिला उद्यमियों को कर्ज में कोरोना के बाद 2.4 गुना की तेजी आई है। शिशु में महिलाओं के खातों की संख्या 79 फीसदी से ज्यादा है।
विशेष रिपोर्ट-
प्रवीण यादव
सह-संस्थापक : ELE India News