नए संसद भवन के निर्माण को लेकर दायर कई याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को सुनवाई की। कड़ा रुख अपनाते हुए अदालत ने कहा कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय कोई फैसला न सुना दे, तब तक कोई निर्माण कार्य या तोड़फोड़ नहीं होना चाहिए। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आपने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर निर्माण की तारीख तय की है। इसपर आगे कोई काम नहीं होना चाहिए। हमें शिलान्यास से कोई परेशानी नहीं है लेकिन किसी तरह का निर्माण नहीं होना चाहिए।
Supreme Court observes that no construction, demolition or felling of trees shall take place at the Central Vista Project. https://t.co/INoZRNP4Hf
— ANI (@ANI) December 7, 2020
शीर्ष अदालत ने सरकार द्वारा सेंट्रल विस्टा के निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के तरीके पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। 10 दिसंबर से यहां निर्माण कार्य शुरू होना था। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध करने वाली लंबित याचिकाओं पर कोई फैसला आने तक निर्माण कार्य या इमारतों या पेड़ों को गिराने की अनुमति नहीं देगा। केंद्र सेंट्रल विस्टा परियोजना के लिए आवश्यक कागजी कार्य कर सकता है एवं नींव रखने के प्रस्तावित समारोह का आयोजन कर सकता है।
अदालत की सख्ती से केंद्र सरकार झुक गई है। केंद्र ने अदालत से कहा कि हम केवल शिलान्यास करेंगे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ नहीं काटे जाएंगे। सुनवाई की शुरुआत मे ही अदालत ने कहा कि हम इसपर स्टे नहीं दे रहे हैं लेकिन आप जो भी करेंगे वो हमारे आदेशों के अधीन होगा। बेहतर होगा आप इस बात का ध्यान रखें। न्यायालय ने कहा कि केंद्र कागजी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकता है लेकिन एक बार ढांचा खड़ा हो गया तो पुरानी स्थिति बहाल करना मुश्किल हो जाएगा।
क्या है सेंट्रल विस्टा परियोजना
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए संसद भवन का निर्माण किया जा रहा है। इसके अंतर्गत नया त्रिकोणीय संसद भवन, कॉमन केंद्रीय सचिवालय और तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को रीडेवलप किया जाएगा। नए संसद भवन में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। परियोजना के तहत उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक और प्रधानमंत्री के आवास को साउथ ब्लॉक के करीब शिफ्ट किया जा सकता है। इससे ट्रैफिक स्मूथ हो सकता है और लोगों को होने वाली परेशानी खत्म हो सकती है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 20 हजार करोड़ रुपये है, इसके अलावा निर्माण करने वाली कंपनी को 229.75 करोड़ का भुगतान किया जाएगा।परियोजना के कारण नेशनल म्यूजियम और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट को यहां से हटाना पड़ेगा। इस प्रक्रिया की जद में जनपथ, मान सिंह रोड और विजय चौक के आसपास की बहुत सी सांस्कृतिक इमारत भी आ सकती हैं।